प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं, पिछले साल दो आए थे, वो पीजी करने चले गए, परेशान हो रहे मरीज
क्षेत्र के मरीजों को उपचार कराने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मरीज को लेकर परिवार यहां-वहां भटकते परिवार को दर-दर की ठोकरें खाना पड़ रही है। लंबे समय से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर का पद रिक्त होने की वजह से मरीजों को उपचार के लिए बाहर जाना पड़ता है।
कोरोना वायरस की महामारी के चलते पहले ही लोग सतर्कता बरत रहे हैं। गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों काे बाहर जाकर इलाज करवाना पड़ रहा है। स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 3 दिसंबर 2019 से लेकर अभी तक कोई भी डॉक्टर अस्पताल में नहीं है। इसके पूर्व डॉ. हितेश नायक द्वारा 7 नवंबर 2019 को ड्यूटी ज्वाइन की थी। लेकिन मात्र 27 दिन में ही वे पीजी कोर्स की तैयारी के चले गए थे। इसके पूर्व भी डॉ. अदिति भावसार भी इसी तरह कुछ समय रहीं। उसके बाद पीजी करने के लिए चली गईं। ऐसे में परेशानी स्थानीय लोगों को उठाना पड़ रही है। मरीज इलाज के लिए पेटलावद, रतलाम दाहोद, बड़ौदा (गुजरात) जाकर अपना इलाज करवा रहे हैं। परेशानियों के बाद भी यहां डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की जा रही। जबकि इन दिनों यहां पर प्रतिदिन 20 से 25 मरीज इलाज कराने के आते हैं।
डॉक्टर के साथ अस्पताल में स्टाफ की भी कमी
अस्पताल में 4 लोगों का स्टाफ है। इन दिनों अस्पताल में पदस्थ फार्मासिस्ट चेतन जैन द्वारा मरीजों का इलाज किया जा रहा है। कोरोना वायरस जैसी गंभीर बीमारी का खतरा होने के बाद भी वे पूरी मुस्तैदी से इलाज कर रहे हैं।
जानकारी वरिष्ठ अधिकारी को दे दी है
पूर्व में जिन डॉक्टरों की नियुक्ति शासन द्वारा की गई उनका चयन पीजी के लिए हो जाने से वे छोड़कर चले गए। फिलहाल अपने डॉक्टरों की कमी है। हमने वरिष्ठ अधिकारी को इस बारे में जानकारी भेज दी है। जैसे ही नए डॉक्टर यहां पर आते हैं तत्काल डॉक्टर की नियुक्ति कर दी जाएगी।
डॉ. एमएल चौपड़ा, बीएमओ, पेटलावद
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