दाहोद में किया मना, रतलाम में हुआ साक्षी का ऑपरेशन
जॉइंट की हड्डी फ्रेक्चर होने से परेशान झाबुआ की रहने वाली बालिका का रतलाम में सफल ऑपरेशन हुआ। कोरोना के चलते कोई भी अस्पताल उसे भर्ती करने को तैयार नहीं था। ऐसे में आलीराजपुर के पूर्व कलेक्टर शेखर वर्मा और रतलाम के डॉ. उदय यार्दे मदद के लिए आगे आए और ऑपरेशन कराया। खास बात यह रही कि आधा खर्च भी दोनों ने मिलकर वहन किया।
झाबुआ की टीचर्स कॉलोनी में रहने वाली 17 वर्षीय साक्षी पिता युवराजसिंह चौहान 21 जून को चक्कर खाकर गिर गई थी। इससे उसके कमर के नीचे जॉइंट की हड्डी टूट गई। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां पांच दिन रखने के बाद भी हालत में सुधार नहीं हुआ तो माता-पिता उसे दाहोद ले गए। वहां डॉक्टर ने ऑपरेशन की बात कही। खर्च एक लाख से अधिक बताया। रुपए की व्यवस्था नहीं होने से माता-पिता साक्षी को लेकर वापस झाबुआ आ गए। इस बीच उसकी स्थिति बिगड़ती गई। किसी ने रतलाम जाने को कहा।
रतलाम गए तो वहां भी डॉक्टरों ने ऑपरेशन का खर्च अधिक बताया। कुछ अस्पतालों ने तो कोरोना के डर से भर्ती भी नहीं किया। ऐसे में साक्षी की मां मीना ने रतलाम में रहने वाली परिचित मेघा श्राेत्रिय को फोन लगाया। मेघा ने उनकी हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। इसके बाद मेघा ने साक्षी की स्थिति से आलीराजपुर के पूर्व कलेक्टर शेखर वर्मा को अवगत कराया। वर्मा ने तुरंत रतलाम के डॉ. उदय यार्दे और सुनीता यार्दे से बात की। वर्मा और यार्दे ने मिलकर श्रद्धा हॉस्पिटल के डॉक्टरों को साक्षी की स्थिति बताई तो डॉक्टर आॅपरेशन करने के लिए तैयार हो गए।
ऑपरेशन का खर्च डेढ़ लाख, 60 हजार की ही व्यवस्था हुई
साक्षी को लेकर परिजन पहले रतलाम के जीडी हाॅस्पिटल गए थे। वहां उसकी स्थिति देखते हुए डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया। इसके बाद शेखर वर्मा और डॉ. उदय यार्दे उनकी मदद के लिए आगे आए। श्रद्धा हॉस्पिटल में ऑपरेशन का खर्च डेढ़ लाख बताया। तब वर्मा और यार्दे ने मिलकर 60 हजार रुपए की व्यवस्था की। पिछले सप्ताह डॉक्टरों ने जॉइंट का सफल ऑपरेशन किया। परिवार को अभी भी रुपयाें की जरूरत है। पांच माह पहले साक्षी के पिता का भी बायपास हुआ था।
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