बस नाम की चौकी, पुलिस बल है ही नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए एक साल पहले गांधीग्राम में पुलिस चौकी का शुभारंभ किया था। इसके बाद से यहां बल ही तैनात नहीं किया गया। जिसके चलते यहां चौकी का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। वन डिपो के जिस काष्ठागार में चौकी बनाई गई है अब वहां पंचायत ने ताला जड़ दिया है। इससे लोगों को आवाजाही में भी परेशानी उठानी पड़ रही है। चौकी के मुख्य द्वार पर ही कचरे का अंबार लगा है। इस मसले पर जिम्मेदार पुलिस बल नहीं मिलने की बात कह रहे हैं।
जानकारी के अनुसार गांधीग्राम स्थित वन डिपो के अंदर स्थित सामुदायिक भवन को वर्ष 2019 में अस्थाई पुलिस चौकी के रूप में तब्दील किया गया था। इसके बाद यहां बल की नियुक्ति ही नहीं हुई। कुछ अर्से बाद पंचायत ने भी यहां ताला लगा दिया। वहीं लोग अब मुख्य द्वार पर ही कचरा फेक रहे हैं। इससे चारों तरफ संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
निकलने में हो रही परेशानी
चौकी के मुख्य द्वारा के दोनों तरफ व पीछे आवासीय बस्ती है। पंचायत द्वारा यहां ताला लगाने के कारण आदिवासी बस्ती के लोगों को घूमकर जाना पड़ रहा है। वार्ड के लोगों का कहना है कि गेट पर ताला लगा होने से महिलाओं को दूसरे वार्डों का चक्कर लगाकर या बुढ़ानसागर तालाब के मोघा के किनारे से अपने घर जाना पड़ता है। वर्तमान समय में तालाब में पानी की वजह से शाम व रात्रि के समय यहां से गुजरना खतरा भरा होता है।
उग आई खरपतवार
पुलिस चौकी परिसर की अर्से से सफाई नहीं की गई है। जिसके चलते पूरे परिसर में खरपतवार उग आई है। गाजर घास, झाडिय़ों से पूरा परिसर अटा पड़ा है। काष्ठागार के प्रवेशद्वार गेट से पुलिस चौकी तक का रास्ता बरसात में दलदल व कीचड़ से पट गया है। बताया गया है कि चौकी होने के बावजूद बीट प्रभारी व ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी चौकी में नहीं बैठते। पुलिस वाले होटल, दुकानों में बैठकर अपने काम का संचालन करते हैं।
इनका कहना है
गांधीग्राम में अस्थाई चौकी बनी थी, बल ना मिलने के कारण चौकी को विधिवत रूप से संचालित नहीं किया जा सका। यदि ग्रामीण पुलिस प्रशासन से मांग करके स्थाई चौकी बनवाते हैं तो पुलिस बल मुहैया होगा।
भावना मरावी, एसडीओपी, सिहोरा
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