सब्जी आपूर्ति हुई मुश्किल, 50 रुपए किलाे हुआ टमाटर, प्याज भी 30 रुपए किलाे

बाजार में सब्जी के दाम बेतहाशा बढ़ने के कारण लोगों के लिए सब्जी खरीदना मुश्किल हो रहा है। दरअसल कोरोना संक्रमण काल और लॉकडाउन की आशंकाओं से घिरे अधिकांश किसानों ने खेतों में बहुत कम सब्जियां लगाई हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर पर सब्जी की आवक बहुत कम हो गई है, जो पूर्ति हो रही है वह सीमित मात्रा में महाराष्ट्र से आ रही सब्जियों से हो रही है। इस कारण टमाटर, प्याज से लेकर लहसुन और हरी सब्जियां सभी महंगी हो गई हैं। लातूर और औरंगाबाद से टमाटर बेहद कम मात्रा में आ रहा है, इसी तरह नासिक और जलगांव से प्याज की आवक भी कम है। ऐसे में प्याज एक बार फिर आंसू ला रहा हैं, वहीं टमाटर भी थाली से दूर हो रहा है।
एक कारण यह भी : लॉकडाउन के समय किसानों को फेंकने पड़े थे टमाटर : एक समय लॉकडाउन के समय टमाटर की पैदावार ज्यादा होने और खपत कम होने के कारण बहुत से किसानों को टमाटर फेंकने पड़े थे। मांडवी समेत अन्य गांवों में पशुओं को टमाटर खिलाए जाने की घटनाएं सामने आई थीं। बाद में बहुत सी जगहों पर तो किसानों ने खेतों में सब्जी ही नहीं लगाई। जिसके कारण अब सब्जी की आवक भी कम हो गई है।
लहसुन 140 रुपए, पत्तागोभी 40 रुपए किलाे बिकी : बुधवार को गंज बाजार में 50 रुपए किलो टमाटर बिका। इसी तरह 30 से 35 रुपए किलो प्याज बेचा गया। बेहद खराब क्वालिटी का लहसुन भी 140 रुपए किलो तक बिका। इसी तरह पत्तागोभी 40 रुपए किलो के रेट से बिकी। आलू के दाम भी 40 रुपए किलो पर पहुंच गए। जमीन के भीतर दबाकर बोई जाने वाली अधिकांश सब्जियां महंगी थी। सदर निवासी जीआर झरबड़े ने बताया कि टमाटर और प्याज दोनों बहुत महंगे हो गए हैं। दाल फ्राई करना भी अब मुश्किल हाे रहा है। इधर सब्जी कारोबार से जुड़े जानकारों की मानें तो उनका कहना है कि पहले ही सब्जी की बुआई कम हुई थी और फिर अतिवृष्टि के कारण फसल खराब हो गई।
150 रुपए किलाे से 200 रुपए किलाे ककाेड़ा : पहाड़ी क्षेत्राें में बेहद कम मात्रा में पैदा हाेने वाली ककाेड़ा की सब्जी के दाम भी इस बार आसमान छू रहे हैं। ककाेड़ा की सब्जी की आवक इस बार बहुत ही ज्यादा कम है। जाे ककाेड़ा आ भी रहा है उसकी गुणावत्ता ठीक नहीं है। ककाेड़ा के दाम 150 रुपए किलाे से 200 रुपए किलाे तक पहुंच गए हैं।
पांच एकड़ की जगह एक एकड़ में लगाया टमाटर : मांडवी गांव के किसान अभिनंदन अनघोरे ने बताया कि उसने पांच एकड़ की जगह इस बार एक एकड़ में ही टमाटर लगाया। बची हुई चार एकड़ जमीन पर गन्नाबाड़ी और सोयाबीन की फसल बोई है। दरअसल पिछली बार टमाटर का काफी नुकसान होने के कारण इस बार टमाटर कम लगाया गया। इसी तरह किसान संजू चरपे ने भी 3 एकड़ की जगह आधा एकड़ पर ही पत्तागोभी और टमाटर जैसी सब्जियां लगाईं। बची हुई जमीन पर सोयाबीन उगाया। इसी तरह अन्य किसानों ने भी सब्जियां कम ही लगाईं हैं।
लातूर और औरंगाबाद से केवल तीन ट्रक टमाटर आ रहा : थोक सब्जी व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकुमार राठौड़ ने बताया कि जिले में टमाटर की बाेवनी भी कम हुई है और फसल खराब हाे गई है। इस कारण औरंगाबाद और लातूर से तीन ट्रक टमाटर ही आ रहा है। इसके बावजूद कमी की भरपाई नहीं हो पा रही है। टमाटर के दाम इसीलिए 50 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं। इसी तरह नासिक, जलगांव और सुजालपुर से प्याज आता था। यह भी कम मात्रा मे आ रहा है। लॉकडाउन के कारण प्याज की बुआई कम हुई थी इसीलिए आवक भी कम है।
जो प्याज आ रहा वह भी खराब क्वालिटी का : बाजार में बहुत बड़ी मात्रा में खराब क्वालिटी का प्याज आ रहा है। दरअसल अतिवृष्टि के कारण बहुत सा प्याज खराब भी हुआ है। खराब क्वालिटी का प्याज भी अच्छे खासे दाम पर बाजार में बिक रहा है। लोग छांट-छांटकर इसमें से अच्छा प्याज चुनकर ले जा रहे हैं।
सब्जी का नाम एक महीने पहले दाम वर्तमान में दाम
टमाटर 35 रुपए किलो 50 रुपए किलो
प्याज 15 रुपए किलो 30 रुपए किलो
लहसुन 100 से 120 रुपए किलो 140 रुपए किलो
पत्तागोभी 60 से 70 रुपए किलो 70 से 80 रुपए किलो
आलू 30 रुपए किलो 40 रुपए किलो
कद्दू 10 रुपए 30 रुपए किलो
धनिया 40 रुपए किलो 60 रुपए किलो
^किसानों ने इस बार बहुत कम सब्जियों की बुआई की है। दरअसल लॉकडाउन की आशंकाओं में सब्जी की खपत कम होने का आंकलन करते हुए कम सब्जियां किसान लगा रहे हैं। इस कारण सब्जी की आवक कम हो गई है। बाजार में सब्जी के दाम बढ़ रहे हैं।
- राजकुमार राठौड़, अध्यक्ष, थोक सब्जी व्यापारी एसोसिएशन
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