5 किमी पैदल स्कूल जाने वाले शिक्षक ने स्कूल को बनाया प्राइवेट जैसा

(सुनील यादव)
मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो विपरीत परिस्थितियां भी सफलता में आड़े नहीं आती। ऐसा ही कुछ शिक्षक नीरज सक्सेना ने कर दिखाया है। नीरज ब्लॉक के सुल्तानपुर से सटे आदिवासी गांव सालेगढ़ में पदस्थ हैं। जो रायसेन से 35 किलोमीटर अपने दो पहिया वाहन और उसके बाद 5 किलोमीटर तक दुर्गम रास्तों से होकर स्कूल पहुंचते हैं। बरसात में तो उनकी परेशानी और अधिक बढ़ जाती है। बरसात के दिनों में उन्हें 10 किलोमीटर का अधिक चक्कर लगाकर स्कूल पहुंचते हैं। उनके अनूठे प्रयास देश में नजीर बन गए हैं। तमाम विपरीत परिस्थितियों में बच्चों को शिक्षित करने के प्रयासों को देखते हुए इस्पात मंत्रालय ने उन्हें अपना ‘ब्रांड एंबेसडर’ बनाया है। उन पर बनी डॉक्यूमेंट्री भी जारी की गई है।

आदिवासी और भील समाज के 98 बच्चों में भरा पढ़ाई का जुनून
आदिवासी गांव सालेगढ़ जंगल के बीचों-बीच स्थित है। यहां के प्राथमिक स्कूल मैं नीरज की 2009 में पद स्थापना हुई थी। तब दो कमरे वाले इस स्कूल में मात्र 15 बच्चे थे।

वे भी कभी-कभार पढ़ने आते थे। नीरज बताते हैं कि ईटखेड़ी पंचायत में आने वाले सालेगढ़ में आदिवासियों और भील जाति के 25 परिवार रहते हैं। इनके अलावा आसपास जंगल में 20 अन्य परिवार भी रहते हैं। बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए उन्होंने पालकों से संपर्क साधा।

नीरज के प्रयासों से स्कूल के बच्चों की संख्या ना केवल 15 से बढ़कर अब 98 हो गई है। बल्कि उनकी उपस्थिति भी शत-प्रतिशत है।

हरियाली बढ़ाने के साथ पढ़ाई में किया नवाचार
शिक्षक नीरज बताते हैं कि स्कूल के पास 2 एकड़ का परिसर है जो वीरान पड़ा रहता था। पहले मैंने अपने जन्मदिन पर यहां पौधे रोकना शुरू किया। इसके बाद जो बच्चे प्रवेश लेते थे उनसे भी पौधे लगाना शुरू किया और उनको पानी देने की जिम्मेदारी बच्चों को ही सौंपी।

आज यहां छोटे-बड़े करीब 1000 पौधे लहलहा रहे हैं। वहीं पढ़ाई में बच्चों का मन लगाने के लिए खेल खेल में शिक्षा दी। पूरे परिसर में विभिन्न प्रदेशों की राजधानियों के नाम, शहरों के नाम, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के नाम, सप्ताह व महीनों के नाम सहित अन्य चीजों से संबंधित 200 चार्ट लगवाए गए हैं।

जिन्हें देखकर बच्चे मन से सीखते और पूछते हैं। इस तरह नीरज के अनुकरणीय और प्रशंसनीय प्रयासों से कभी सिर्फ पत्थर पहाड़ के लिए पहचाने जाने वाले इस गांव की पहचान अब यह आदर्श स्कूल और शिक्षक हैं।



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5 km walking school teacher made school like private


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