3100 रुपए जमा करे बिना शवदाह से इनकार, भास्कर फोटो जर्नलिस्ट ने प्रशासन को जानकारी दे करवाई अंत्येष्टि

राहुल दुबे | इंदौर. कोरोना काल के दर्दनाक किस्सों में एक घटना और जुड़ गई। कुलकर्णी का भट्टा में रहने वाली 70 साल की सागरदेवी की रविवार रात मृत्यु हो गई। परिवार के 51 सदस्यों को एक गार्डन में क्वारेंटाइन किया गया। स्वास्थ्य विभाग से उन्हें सोमवार 12 बजे तक मौत की सूचना ही नहीं मिली। दोस्त, रिश्तेदारों ने खबर दी। क्वारेंटाइन सेंटर से बच्चों ने डाॅक्टर्स को फोन लगाकर बताया कि हमारी मां चल बसी है। क्रियाकर्म के लिए श्मशान भेजाे। चार बेटे क्वारेंटाइन सेंटर से श्मशान पहुंचे, लेकिन उनके आंसू सूख गए।
इस पूरे मामले में एमवायएच अधीक्षक डॉ. पीएस ठाकुर का कहना है कि एमआर टीबी अस्पताल से शव रात में आया था। पुलिस को सूचना दे दी गई थी। क्षेत्र के एसडीएम और अन्य अधिकारियों ने बताया कि महिला के परिवार के सभी लोग क्वारेंटाइन है। उन्हें सूचित कर दिया गया। उनमें से कुछ को मुक्तिधाम लाया गया था। वहीं, अस्पताल इंचार्ज डॉ सलिल भार्गव ने बताया कि परिजन ने जो नंबर लिखवाया था, उस पर सूचना दी गई थी लेकिन सामने से बताया गया कि नंबर गलत है। हमने एमवायएच प्रशासन को इसकी सूचना देकर बॉडी मर्चूरी में रखवा दी थी।
दर्द की दास्तां बेटे रामचंद्र हनुमंत की जुबानी-
8 मई को आई (मम्मी) को पाॅजिटिव बताकर स्वास्थ्य विभाग का स्टाफ साथ ले गया। हम चार भाई और परिवार के 51 लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर भेज दिया। आई कब वेंटीलेटर पर चली गईं, हमें पता ही नहीं। सोमवार को अखबार में खबर छपी तो दोस्तों, रिश्तेदारों ने बताया कि मां की मृत्यु हो गई। अंतिम समय में हम चार भाइयों में से कोई भी उन्हें कांधा न दे सके। मैं हर साल अनंत चौदस पर मिलों की झांकी बनाता हूं, लेकिन श्मशान में इतना भयानक दृश्य मुझे देखना होगा कभी सोचा नहीं था। क्वारेंटाइन सेंटर से हमें रामबाग मुक्तिधाम लाए। सिर से पैर तक पैक एक बाॅडी हमारे सामने लाकर रख दी। संक्रमित शव बताया। हम तो आखिरी बार मां का चेहरा तक नहीं देख सके। मुक्तिधाम के कर्मचारी आए और बोले कि इलेक्ट्रिक शवदाह गृह खराब है। लकड़ी, कंडे से ही दाह संस्कार करना होगा। पहले 3100 की रसीद कटाओ। हमने मिन्नतें की, लेकिन वो नहीं पसीजे। मां का शव 20 फीट दूर रखा था। हम बेबस। आखिरी में एक सज्जन व्यक्ति (फोटो जर्नलिस्ट संदीप जैन) ने एडीएम पवन जैन को फोन किया तो खराब पड़ा इलेक्ट्रिक शवदाह गृह चालू हुआ। तब जाकर मां को अग्नि नसीब हुई।
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