दोहरी मुश्किल.. न काम मिला न वेतन, घरवापसी की इजाजत भी नहीं

सरकार विदेश में फंसे लोगों को लाने को तैयार है लेकिन देश में ही दूसरे प्रदेश और जिलों में फंसे कर्मचारियाें और मजदूरों की सुध नहीं है। न प्रशासनिक स्तर पर कोई प्रयास हो रहा है। मजदूराें के पास न रुपए बचे हैं न खाना। मजबूरी में घर के लिए पैदल चल दिए लेकिन प्राइवेट नाैकरीपेशा और बाहर रहकर अन्य काम कर रहे लाेगाें के सामने बड़ी चुनाैती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाैहान के उज्जैन में फंसे लोगों को घर भेजने की बात कही तो होशंगाबाद के लोगों के मन में भी उम्मीद जगी। लेकिन मजबूरी है इन्हें ई-पास जारी नहीं हाे रहे।

ऐसी मजबूरी: उत्तराखंड से 7 माह पहले जाॅब के लिए अाए, अब रहने तक का संकट, हैदराबाद में फंसा युवक

  • टिहरी गढ़वाल चंबा के मनाेज (23), पंकज 19 वर्ष और खीमानंद सुयाल (21) यहां 7 माह पहले निजी कंपनी में काम करने आए थे। लाॅकडाउन के चलते कंपनी बंद हाे गई। सैलरी भी नहीं मिली। मकान का किराया और खाने का सामान भी खत्म हाे गया। प्रशासन और नगरपालिका से काेई भी मदद नहीं मिली। दाे दिन पहले एसडीएम ऑफिस से सामान का पैकेट मिला। मनाेज के मुताबिक एसडीएम ऑफिस से घर जाने की अनुमति नहीं मिली। उनके साथी के आवेदन भी पेंडिंग हैं।
  • माखननगर ब्लाॅक में करीब 58 मजदूर फंसे हैं। शुक्करवाड़ा में बैतूल जिले के खोखर से आए मजदूर अपना गुजारा नहीं कर पा रहे हैं। 28 अप्रैल को एसडीएम के नाम ऑनलाइन आवेदन किया, लेकिन वाहन की जानकारी ना देने पर आवेदन निरस्त कर दिया गया। अब दूसरा आवेदन लंबित पड़ा है। कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष राकेश दुबे ने एसडीएम से मुलाकात कर मजदूरों को घर भेजने की अनुमति मांगी है। तहसीलदार निधि चौकसे ने कहा मजदूरों की जानकारी जिला स्तर पर भेज दी है।
  • हांसलपुर के प्रदीप मीणा भी लाॅकडाउन के कारण हैदराबाद में हैं। कलेक्टाेरेट में अधिकारियाें से बात करने के बाद भी काेई मदद नहीं मिली। तीन बार आवेदन करने के बाद भी रिजेक्ट कर दिया है। वापसी के लिए काेई भी इंतजाम नहीं किए। अंकिता नगर निवासी रूपेश राजपूत ने बताया उनके परिचित की 10 मई तो शादी है। उन्हेें अशोकनगर बारात ले जाने के लिए ई-पास की जरूरत है। इसके लिए एप्लाई किया है।

आदित्य रिछारिया, एसडीएम ने कहा

ई-गवर्नेंस ऑफिस से ई-पास की जानकारी हमारे पास सीधे नहीं आ रही है। इस कारण अनुमति देने में दिक्कत आ रही है। लाॅकडाउन में फंसे लोगों की पूरी पड़ताल कर ही अनुमति दी जा रही है।



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