पॉजिटिव के परिवार तक ही सिमट कर रह गई कॉन्टेक्ट रेजिंग, इसीलिए सदर में बनी कम्युनिटी स्प्रेड की स्थिति

कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ स्वास्थ्य विभाग की कॉन्टेक्ट रेजिंग की प्रक्रिया केवल परिवार के सदस्यों तक ही सीमित रह गई है। जिसके कारण संक्रमण की चेन तोड़ना तो दूर मरीज को संक्रमित करने वाले सोर्स का भी पता नहीं चल रहा। जिससे एक तरफ कम्युनिटी स्प्रेड की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं, वहीं एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में संक्रमण का प्रवेश भी हो रहा है।
कॉन्टेक्ट रेजिंग को लेकर जब भास्कर टीम ने अलग-अलग शहरों के एक्सपर्ट से बात की तो सामने आया कि संक्रमण की चेन को तोड़ने का उपाय केवल कॉन्टेक्ट रेजिंग ही है और यह काम बीएमसी का कम्युनिटी मेडिसिन विभाग बेहतर तरीके से कर सकता है, लेकिन बीएमसी का यह विभाग अब तक अपनी जिम्मेदारियों से दूर भाग रहा है, जिसके कारण न तो मरीज की सटीक कॉन्टेक्ट हिस्ट्री मिल रही है और न ही संक्रमण की चैन को तोड़ने में सफलता मिली। हैरानी की बात तो यह है कि संक्रमित मरीजों का सोर्स ढूंढना तो दूर अब तक कोरोना से मरने वाले 10 में से 6 मरीजों को संक्रमित करने वाले सोर्स का भी पता नहीं चल सका है। जिससे अब स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई और रैपिड रिस्पांस टीम की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।

पहले पॉजिटिव की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री में तलाशे थे 72 लोग, पांच पॉजिटिव मिले, चेन टूटी,लेकिन सदर मामले के बाद बिगड़ा सिस्टम

जिले में पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 224 पर है। ऐसे में अब जो भी पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं, उनमें केवल परिवार के लोगों को फर्स्ट कॉन्टेक्ट मानकर सैंपलिंग कराई जा रही है। उनकी कॉन्टेक्ट हिस्ट्री में दूध, सब्जी और किराना दुकान संचालक भी शामिल हैं। 10 अप्रैल को सागर में मिले पहले पॉजिटिव से संक्रमित लोगों की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री तलाशते हुए करीब 72 लोगों की जांच हुई। जिसमें उसके परिवार, रिश्तेदार, दोस्त और आसपास के दुकानदार व पड़ोसी शामिल थे। टीम को दूसरा पॉजिटिव मिला और इससे संक्रमित 3 अन्य पॉजिटिव ढूंढ़कर संक्रमण की चेन को खत्म किया गया। लेकिन सदर के मामले में अब स्थिति बिल्कुल उलट है।

सोर्स नहीं मिला: परिवारों में मिले 10 से अधिक पॉजिटिव, पड़ोसी पर अब तक नहीं दिया ध्यान

सदर क्षेत्र में पॉजिटिव मिलने के बाद रैपिड रिस्पांस टीम द्वारा परिवार के सभी सदस्यों को क्वारेंटाइन करने की प्रक्रिया तो ठीक चल रही है। लेकिन इनके संपर्क में आए पड़ोसी, रिश्तेदार और मित्रों के संबंध में कोई जानकारी नहीं ली जा रही। उदाहरण के तौर चश्मा दुकान संचालक और कैंट के ठेकेदार के घर में 8 से 10 सदस्य पॉजिटिव मिले हैं। लेकिन ठेकेदार परिवार के बाहर कितनों अन्य ठेकेदार और अधिकारियों के संपर्क में आया इसकी कोई सूची तैयार नहीं की गई। नतीजा संक्रमण की चैन तोड़ना तो दूर अब दूसरे क्षेत्रों में भी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है।

वहीं 7 मई को बीना के 52 वर्षीय कोरोना पॉजिटिव की मौत भोपाल में हुई थी। लेकिन इस मजदूर को संक्रमित किसने किया यह अब तक पता नहीं चल सका है। इसके सोर्स को तलाशते हुए डॉक्टरों को भाग्योदय अस्पताल में दो स्टाफ के पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई। जिसके बाद बीना के अस्पतालों के डॉक्टरों की भी सैंपलिंग कराई गई। लेकिन सोर्स का पता नहीं चला। जांच प्रक्रिया के दूसरे चरण में डॉक्टरों ने संक्रमित मरीज के साथ बीना और सागर के अस्पतालों में एक ही समय पहुंचे मरीजों की सूची तैयार करने का निर्णय लिया था, लेकिन यह सूची और सोर्स तलाशने की कहानी कागजों तक ही सीमित रह गई।

बीएमसी के पीएसएम विभाग को करना चाहिए पूछताछ: शहर में कम्युनिटी स्प्रेड जैसी स्थितियां निर्मित न हों, इसके लिए बीएमसी के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग यानी पीएसएम को आगे आना होगा। यह विभाग मरीजों से पूछताछ कर वायरस के संक्रमण का पता लगा सकता है। वहीं मरीज की सही-सही कॉन्टैक्ट हिस्ट्री लेकर संक्रमण की चेन तोड़ने में भी मददगार साबित हो सकता है, लेकिन इस विभाग के प्रोफेसर व अन्य शिक्षक अब तक अपनी इस जिम्मेदारी की तरफ बढ़ने को तैयार नहीं है।
एक्सपर्ट: जहांगीराबाद में कम्युनिटी स्प्रेड की स्थिति बनी... क्योंकि कॉन्टेक्ट हिस्ट्री पर कम काम हुआ

मरीज मिलने के बाद कंटेनमेंट ऑफ वायरस करना भी जरूरी है। ताकि वायरस का नया शरीर न मिल सके। लेकिन यह केवल कॉन्टेक्ट रेजिंग और अधिक सैंपल से ही संभव है। भोपाल के जहांगीराबाद में कम्युनिटी स्प्रैड जैसी स्थितियां इसीलिए बनी क्योंकि कॉन्टेक्ट हिस्ट्री पर शुरुआत में कम काम हुआ। बाद में ज्यादा से ज्यादा सैंपलिंग की गई। स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में आई है। यदि सागर के किसी एरिया में कम्युनिटी स्प्रैड की स्थिति बन रही है तो इसे शुरुआती दौर में ही पकड़ना होगा।
- डॉ. विकास मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर, टीबी एंड चेस्ट विभाग, गांधी मेडिकल कॉलेज

हां, खामियां है, अब दूर करेंगे

सीधी बात छवि भारद्वाज, एमडी एनआरएचएम

कॉन्टैक्ट रेजिंग सागर में केवल परिवारों तक ही सीमित रही।
- मैंने आज ही इस संबंध में अफसरों बात ही है। अब कॉन्टैक्ट हिस्ट्री पर ज्यादा से ज्यादा काम किया जाएगा।
डॉक्टरों कहते हैं सिमटोमैटिक मरीजों की ही जांच करेंगे। कॉन्टैक्ट हिस्ट्री वाले मरीज में लक्षण न होने के कारण जांच नहीं होगी?
- सिमटोमैटिक के अलावा हाई और लो रिस्क मरीजों तक की जांच की होना है। ताकि संक्रमण की चैन टूट सके। अब हमें इसी पर ध्यान देना होगा।
बीएमसी में मरीजों के इलाज को लेकर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं, इस संबंध में आपका क्या कहना है?
मैं आज बीएमसी की व्यवस्थाओं का जायजा लिया है। इसमें जो भी खामियां थी, सब बता दी गई हैं। इसके अलावा अब हमें रूटीन इलाज की व्यवस्थाओं पर भी ध्यान देना है, इसलिए आने वाले समय में अस्पताल में कई बदलाव भी किए जाएंगे। जिसमें कोविड और अन्य मरीजों के बीच अंतर भी बना रहे और इलाज की व्यवस्थाएं भी सुचारू रूप से चलतीं रहें।



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