सागर से 20 और नदी से 200 मीटर में कोई पक्का निर्माण नहीं कर सकते

सप्त सागरों के विकास का मुद्दा एक बार फिर फाइलों से निकल कर बैठक तक पहुंच गया है। इन पौराणिक सागरों का सीमांकन कर वहां कितना अतिक्रमण है, इसकी सूची तैयार करने के लिए राजस्व विभाग और नगर निगम अमले तो पाबंद किया गया है। सात दिन में दोनों विभाग के अधिकारी व कर्मचारी सातों सागरों का अवलोकन कर रिकाॅर्ड के अनुसार इनकी जमीन पर अतिक्रमण का पता लगाएंगे।
सात दिन बाद फिर सप्त सागरों को लेकर बैठक होगी। निगमायुक्त क्षितिज सिंघल के अनुसार सभी सागरों का सर्वे करेंगे। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

सात दिन बाद तय होगा क्या कार्रवाई करें
कलेक्टर आशीष सिंह ने शनिवार को नगर निगम, पीएचई, पीडब्ल्यूडी, टीएनसीपी और यूडीए अधिकारियों के साथ मास्टर प्लान पर चर्चा के साथ सप्त सागरों के विकास पर भी मंथन किया। सप्त सागरों की चर्चा करते हुए उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि सागर और नदी से कितनी दूरी पर निर्माण हो सकता है। अधिकारियों ने बताया कि सामान्य रूप से सागर से 20 मीटर और नदी से 200 मीटर बाद ही निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने राजस्व और निगम अमले को संयुक्त रूप से सप्त सागरों का सीमांकन कर अतिक्रमण की स्थिति पता करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 7 दिन में यह रिपोर्ट तैयार हो जाना चाहिए।
दो सागर विकसित, दो का सौंदर्यीकरण
गौरतलब है कि विष्णु व पुरुषोत्तम सागर का विकास हो चुका है। क्षीर सागर व पुष्कर सागर का सौंदर्यीकरण भी किया गया था। गोवर्धन सागर का मामला कोर्ट में है। रुद्र सागर के दोनों हिस्से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किए गए हैं, जिनकी योजनाएं बनकर काम भी शुरू हो गया है। रत्नाकर सागर (उंडासा) नगर निगम सीमा से बाहर है।



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