अधिग्रहीत भूमि में 52% होगी सरकारी; 60 अरब के चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए मप्र देगा 781 करोड़

ईस्ट-वेस्ट काॅरीडोर, नार्थ-साउथ कॉरीडोर एवं राजस्थान में दिल्ली-मुंबई कॉरीडोर से जुड़ने वाले प्रस्तावित चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए मप्र सरकार 100% जमीन का अधिग्रहण करेगी। इसमें 52 % सरकारी है। शेष 48 % के अधिग्रहण के लिए जमीन की अदला-बदली की जाएगी। इस स्कीम के तहत 421 करोड़ का बजट रखा गया है। इस एक्सप्रेस की लागत 6 हजार 193 करोड़ रुपए है। जमीन का अधिग्रहण मुरैना, श्योपुर और भिंड में होगा।
इस फोरलेन एक्सप्रेस-वे के लिए 70 मीटर जमीन अधिग्रहीत होगी, ताकि भविष्य में इसे 8 लेन तक बढ़ाया जा सके। सड़क काे ऐसे बनाया जाएगा ताकि यह कूनो नेशनल पार्क व घड़ियाल अभयारण्य के 3.5 किमी बाहर रहे।
मप्र की मिट्टी और मुरम का भी होगा इस्तेमाल
मप्र सरकार आर्थिक सहयोग के तौर पर मिट्टी एवं मुरम देगी, जिसकी रायल्टी 330 करोड़ होगी। साथ ही वन भूमि की अनुमतियों पर होने वाले व्यय के रूप में 30 करोड़ खर्च करेगी। यानी 421 करोड़ रुपए भूमि अधिग्रहण के मिलाकर मप्र सरकार 781 करोड़ का सहयोग देगी।
120 किमी की रफ्तार से चल सकेंगे वाहन
इसका डिजाइन 120 किमी रफ्तार से चलने वाले वाहनों के लिए होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को बैठक की। इसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, नरेंद्र सिंह तोमर और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी ऑनलाइन शामिल हुए। पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने प्रेजेंटेशन दिया। बताते हैं कि उन्होंने दिल्ली में संबंधित मंत्रालय से चीजें क्लियर कीं। उन्होंने 6 जून को पत्र भेजकर इस की तेजी से पहल करवाई।
मप्र में 309 किमी लंबा होगा एक्सप्रेस-वे
‘एक्सप्रेस वे’ प्रदेश में 309 किमी लंबा होगा। यह श्योपुर, मुरैना एवं भिंड से होते हुए राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश की सीमाओं को ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर से जोड़ेगा। भिंड में गोल्डन क्वाट्रिलेट्रल (आगरा-कानपुर) मार्ग, मुरैना में नार्थ-साउथ कॉरीडोर एवं राजस्थान में दिल्ली-मुम्बई कॉरीडोर से जुड़ेगा। फोरलेन एक्सप्रेस वे को भविष्य की जरूरत के हिसाब से बाद में 8 लेन किया जा सकेगा। कुल लंबाई 358 किमी है। मप्र में हिस्सा 309 किमी, राजस्थान में 32 किमी (53 किमी राजस्थान सरकार द्वारा प्रस्तावित मार्ग को कोटा तक जोड़ा जाएगा) और उत्तरप्रदेश में 17 किमी रहेगा। इसके दोनों तरफ रक्षा उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, भारी उद्योग, वेयर हाउसिंग, लॉजिस्टिक एवं ट्रांसपोर्ट उद्योग को विकसित किया जाएगा।
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