एक गांव ऐसा, जहां बेडरूम और किचन में भी बैठे रहते हैं सांप, यहां चुन-चुनकर पकड़ते थे नाग इसलिए गांव का नाम पड़ गया नागचुन

इस गांव में इतने जहरीले सांप निकलते थे कि उन्हें चुन-चुनकर पकड़ना पड़ता था। इसी कारण इस गांव का नाम नागचुन पड़ गया। यह गांव खंडवा शहर से सटा हुआ है। इस गांव की खासियत यह है कि आज भी यहां विषैले सांप खेत, गलियों में ही नहीं बल्कि घरों के बेडरूम, किचनरूम और कपड़ों के हेंगर में लटकते दिखाई देते हैं। चूंकि अब खेतों में रासायनिक खाद का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है, इसलिए इनकी संख्या भी सीमित होती जा रही है। यहां के बुजुर्गों का दावा है कि नागचुन नाम का गांव देश में एकमात्र खंडवा में है।
सांप रहते हैं परिवार के सदस्य की तरह : नागचुन हवाई पट्टी के सामने 16 एकड़ भूमि पर खेत में पंडित सौरभ चौरे परिवार के साथ रहते हैं। सौरभ ने खेत और गांव में हजारों जहरीले सांप हैं। ये सांप घरों में आकर किचन, बेडरूम, बाथरूम व आंगन में आकर बैठ जाते हैं। 5-6 पीढ़ियों से रह रहे हैं, कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। 80 वर्षीय भाईलाल यादव ने बताया नागचुन गांव में नागपंचमी ही नहीं बल्कि हर माह की पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करते हैं।
एक्सपर्ट व्यू : सांपों के लिए अनुकूल जगह है नागचुन
एक्सपर्ट राजेश सिंह के मुताबिक नागचुन क्षेत्र की भौगोलिक स्थित सांपों के लिए अनुकूल है। यहां बांस के पेड़ के अलावा तालाब, नहर, नाला व चट्टानी इलाका है जो इनके प्राकृतिक निवास के लिए आदर्श स्थान होता है भोजन, सुरक्षा और हेचरी (घौंसला) आसानी से बन जाता है।
गांव के भैयालाल से सुनिए नागचुन की कहानी
कोई भी शुभ कार्य या शादी की शुरुआत नाग देवता के मंदिर में पूजा से होती है। सांप पकड़ने वाले कालबेलियों का गांव में प्रवेश प्रतिबंधित है। विषैले सांपों और गांव वालों का नाता सदियों पुराना है। गांव में हमारा परिवार ढाई सौ साल से रह रहा है। 1894 में अंग्रेजों ने इस गांव में 5200 एकड़ भूमि पर तालाब बनवाया, जिससे खंडवा शहर को जल आपूर्ति होती थी। इस गांव में रहने वालों को सांप नुकसान नहीं पहुंचाते। गांव के लोग भी इन्हें कभी नहीं मारते। यहां भारत के सबसे विषैले माने जाने वाले सांप इंडियन कोबरा, इंडियन ग्रेट, रसैल वाईपर, एलबिनो कोबरा, पद्मा नागिन, धामन जैसे विषधारी सांपों के अलावा घोड़ा पछाड़ और 30 फीट लंबा अजगर भी अकसर दिखाई देता है। एक हजार की आबादी वाले इस गांव में जगह-जगह जहरीले सांप पाए जाने के बावजूद यहां सर्पदंश के मामले कभी सामने नहीं आए। सांपों को चुन-चुनकर पकड़ा जाता था, इसीलिए इस गांव का नाम नागचुन पड़ गया।
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