800 का काम 600 कर रहे, इनकी वजह से ही लॉकडाउन में दवाई और किराना पहुंच रहा

42 डिग्री तापमान। लंबे ट्रैक। भारी भरकम औजार। तय समय पर पूरे ट्रैक की निगरानी। रेलवे में इस काम का जिम्मा ट्रैकमेंटेनर्स पर है। उज्जैन क्षेत्र में जरूरत 800 की है लेकिन 200 पद खाली पड़े हैं। 600 कर्मचारी लगातार काम में जुटे हैं। इनकी वजह से ही लॉक डाउन में माल और अब पैंसेजर ट्रेन का संचालन हो सका है। इन्हीं के कारण अस्पतालों तक दवाई, घराें तक किराना और पेट्रोल पंप तक पेट्रोलियम पदार्थ पहुंचाया जा सका। लॉकडाउन 1.0 शुरू होने के साथ सभी तरह की ट्रेन का संचालन बंद हो गया था। इसके बावजूद रेलवे के इन कर्मचारियों का काम ठीक उसी तरह चलता रहा जैसे आमदिनों में चलता है। इन्होंने भी कोई आनाकानी किए बगैर अपने क्षेत्र में न केवल ट्रैक को मेंटेन रखा बल्कि उसकी राेज चैकिंग भी की। लॉकडाउन 2.0 के दौरान रेलवे ने मालगाड़ियां शुरू कर दी। इनका काम बढ़ गया। वे पूरी ताकत से काम में जुट गए। अब विशेष ट्रेन के संचालन के साथ उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ गई है।
इंजीनियरिंग विभाग ने सावधानियों को नजरअंदाज कर मेंटेनर से काम लिया
ट्रैक मेंटनर्स संघ के रामचंद्र चंद्रीवाल के अनुसार मंडल में ट्रैक मेंटेनर के उच्च वेतनमान के कई पद खाली हैं। रतलाम रेल प्रशासन से बार-बार मांग करने पर भी ट्रैक मेंटेनर केटेगरी के कर्मचारियों को पदोन्नत नहीं किया जा रहा है। जिससे इस वर्ग के कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है। इसके अतिरिक्त कोरोना के संक्रमण के इस दौर में इंजीनियरिंग विभाग ने सारे नियमों को ताक में रखकर बिना सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य आवश्यक सावधानियों को नजरअंदाज कर ट्रैक मेंटेनर से काम लिया। रेल प्रशासन इन कर्मचारियों के कार्यस्थल और उपकरणों को भी बिना सैनिटाइज किए काम में ले रहा है, जिससे ट्रैक मेंटेनर साथियों में संक्रमण का खतरा बना हुआ है, जबकि मंडल के एक छोटे से अफसर के गेट के बाहर भी किसी को छींक आ जाए तो पूरा कोरिडोर व अॉफिस सैनिटाइज किया जाता है। ट्रैक मेंटेनर कर्मचारियों के पदोन्नति और वित्तीय उन्नयन के प्रकरण कई वर्षों से मंडल कार्यालयों और उनके अधीनस्थ कार्यालय में लंबित हैं। मंडल के अफसर इन कर्मचारियों से लाॅक डाउन में काम लेने में लगा है। मंडल में लगभग 1000 ट्रैक मेंटेनर के पद खाली हैं। उज्जैन क्षेत्र में लगभग 600 ट्रैक मेंटेनर पदस्थ हैं जबकि 200 पद खाली हैं।
लॉकडाउन में भी ट्रैक को मेंटेन किया
लाॅकडाउन के दौरान वर्षभर की तरह ट्रैक मेंटेनर्स ने रेलवे ट्रैक पर मेहनत कर ट्रैक को सुरक्षित और निर्बाध गति से ट्रेन चलाने के लायक बनाया है। रेल मंडल में कई वर्षों से पदोन्नति और वित्तीय उन्नयन रेल प्रशासन ने प्रदान नहीं किया है।
बीके गर्ग, मंडल मंत्री, मजदूर संघ



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Doing 800 work to 600, due to which medicine and grocery are reaching lockdown


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