बीपीएड इंट्रेंस टेस्ट में उज्जैन की अंजलि की प्रदेश में पहली रैंक

मरीजों को चिकित्सा देने वाले निजी हॉस्पिटल में ही कोरोना संक्रमण काल में भीड़ काबू नहीं हो पा रही है। मरीज के साथ उनके अटेंडर की भीड़ लगी रहती है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है, जोे संक्रमण फैलने का बड़ा खतरा है। मरीजों पर भी इसका असर पड़ सकता है। फ्रीगंज की निजी पैथोलॉजी लैब पर भी मरीजों की भीड़ लग रही है, यहां पर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है।
हॉस्पिटल संचालकों का कहना है कि भीड़ नियंत्रण के लिए गार्ड रखे हैं जो अनावश्यक भीड़ को रोकते हैं तो लोग झगड़ा करते हैं। आए दिन विवाद की स्थिति बनती है। हॉस्पिटल के गेट पर सैनिटाइज की व्यवस्था है। बगैर मास्क के किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाता है। थर्मल गन से टेंप्रेचर चेक किया जाता है। निजी हॉस्पिटल प्रबंधन के दावों के बीच भास्कर ने पड़ताल की तो पाया कि निजी हॉस्पिटल के अंदर और बाहर लोगों की भीड़ लगी हुई है। हॉस्पिटल के मुख्य गेट और गलियारे में लोग खड़े हैं। एक मरीज के साथ तीन से चार लोग मौजूद हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। ऐसे में हॉस्पिटल ही सुरक्षित नहीं है। यहां संक्रमण का खतरा बना हुआ है।

संचालक बोले- गेट पर हाथ सैनिटाइज, जांच के बाद ही अस्पताल में दे रहे प्रवेश

भीड़ को रोकने के लिए गार्ड को तैनात किया है। जो लोगों को रोकता है तो उसके साथ झगड़ा किया जाता है। हॉस्पिटल गेट पर ही सैनिटाइज की व्यवस्था है, हॉस्पिटल में आने वाले हर व्यक्ति का टेंप्रेचर चेक किया जाता है।
डॉ. एसएस गुप्ता, संचालक

एसएस गुप्ता हॉस्पिटल

अनावश्यक भीड़ के प्रवेश पर रोक लगा रखी है। मरीज के साथ केवल एक अटेंडर को प्रवेश दिया जाता है। उसके भी टेंप्रेचर की जांच होती है। हॉस्पिटल गेट पर ही सैनिटाइज की व्यवस्था है।
डॉ. मुकेश जेठवानी, संचालक
गुरु नानक हॉस्पिटल

भीड़ को रोकने के लिए गार्ड को तैनात किया है। मरीज और उसके परिजन का टेंप्रेचर चेक किया जाता है। हॉस्पिटल में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन हो रहा है। सैनिटाइजर की पूरी व्यवस्था है।
डॉ. कात्यायन मिश्र, संचालक
जेके हॉस्पिटल

लॉकडाउन में पुलिस ने लोगों को पकड़ा लेकिन 4500 चालान कोर्ट में ही पेश नहीं

लॉकडाउन में 23 मार्च से 30 मई तक पुलिस ने बेवजह घरों से बाहर घूमने वालों को खूब सबक सिखाया। अस्थायी जेल तक भिजवाकर कार्रवाई भी की गई। बावजूद लोगों में डर इसलिए नहीं है क्योकि पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान 5 हजार से अधिक लोगों के केस बनाए पर उनके चालान अभी तक कोर्ट में पेश नहीं किए।
सभी थानों में दो महीने तक लगातार पुलिस सड़कों पर रही और लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने के लिए ही पांच हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। चालान अगर समय पर कोर्ट में पेश कर दिए जाते तो जिन लोगों पर कार्रवाई हुई उन्हें एडीएम कोर्ट से नोटिस मिलता और कोर्ट में तलब होने के बाद दिनभर परेशानी का सामना करते हुए जुर्माना भी भरते। तब सबक मिलता कि अगली बार गलती नहीं करना है। जितने भी लोगों पर कार्रवाई हुई वे इसीलिए निश्चिंत हो गए कि सिर्फ नाम पता नोट किया था व कोई कार्रवाई नहीं हुई। एएसपी अमरेंद्रसिंह ने बताया कि 460 चालान कोर्ट में पेश किए जा चुके है लेकिन 4500 के करीब चालान पेश होना शेष है। वे भी जल्द ही कोर्ट में पेश करवा रहे है।
246 लोगों पर 26 हजार जुर्माना, 115 को जेल भेजा

कोरोना संक्रमण में जो लापरवाही कर रहे हैं उन पर कार्रवाई की जा रही है। बावजूद लोग बाज नहीं आ रहे हैं। एडीएम बिदिशा मुखर्जी ने बताया मंगलवार को 246 लोगों से 26 हजार रुपए का जुर्माना वसूला। यही नहीं 115 लोगों को अस्थाई जेल में बंद कर मास्क पहनने व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की शपथ भी दिलवाई।



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Ujjain's Anjali ranks first in state in BPED entrance test


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