ठगी के शिकार किसानाें ने बैंक स्टाफ को घेरा, मांगते रहे रुपए, मिला सिर्फ आश्वासन
आईसीआईसीआई बैंक की तीखड़ ब्रांच में मैनेजर द्वारा किए गए गबन व फर्जीवाड़े से खातेदार किसानों के बचत, एफडी और केसीसी खाते न केवल खाली हो गए अपितु लोन निकालकर उनको बकायादार भी बना दिया गया है। प्रारंभिक जांच में तीन करोड़ 80 लाख रुपए का गबन की एफआईआर थाने में दर्ज है। बैंक का कैशियर जेल में है लेकिन शातिर बैंक मैनेजर डेढ़ माह से फरार है। जिन किसानों के खाते खाली हो गए हैं, उनका सब्र टूट रहा है। वे थाने से लेकर कलेक्टर दफ्तर तक के चक्कर काट रहे हैं। एक दिन पहले साेमवार काे कलेक्टर से बात हाेने पर मंगलवार को 35-40 किसान इटारसी की आठवीं लाइन में आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य ब्रांच पहुंचे। बैंक प्रबंधन ने उन्हें आधे घंटे तक इंतजार करवाया। इसके बाद किसान सुबह 11.45 बजे बैंक में दाखिल हो गए।
प्रबंधक को घेरकर यह सवाल करने लगे कि उनके खातों से निकाला गया रुपए कब वापस आएगा। बैंक प्रबंधन ने आश्वस्त किया कि भोपाल से आए अधिकारी पूरा मामला सुलझाने में लगे हैं। इस हफ्ते 10 किसानों की जमा राशि वापस खाते में आ गई। फर्जी लोन के कारण जो किसान बकायादार हो गए थे उनको कर्ज से मुक्त कर दिया है। यह सुनकर बाकी किसान शोर करने लगे कि हमारे खाते में तो पैसा आया ही नहीं।
तीखड़ के किसान दामाेदर के खाते से 19 लाख रुपए का गबन
तीखड़ गांव के 45 वर्षीय दामोदर पिता रिखीराम यादव के खाते से 19 लाख रुपए का गबन हुआ। पहले फर्जी हस्ताक्षर कर केसीसी से 9 लाख रु. निकाले गए, फिर चार चेक लेकर गेहूं व मूंग बेचने पर खाते में आए 8.40 लाख रु. निकाल लिए।
असर : वे 8 एकड़ खेत में मक्के की बोनी नहीं कर पाए। हार्ट पेशेंट मां की दवा उधारी में लेनी पड़ रही है। बच्चों की फीस व खेतों में खाद की समस्या भी है।
फोन आने पर पता चला खाते से निकाल लिए साढ़े 4 लाख रुपए : राजेश
42 वर्षीय किसान राजेश पिता सतीश कुमार वर्मा ने अपने ही गांव में आईसीआईसीआई बैंक शाखा में बचत खाता खोला था। 19 जून को 4.5 लाख रु. खाते से निकाल लिए गए। एक जुलाई को पता चला जब बैंक से फोन आया।
असर : धान व मक्का की बोनी नहीं कर पाए। बखरनी का समय निकल जाने से खेत खाली छोड़ना पड़ा। बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल नहीं खरीद सके।
गबन के कारण खाली हाे गया खाता, अब रुपए काे तरस रहे : छाेटेलाल
तीखड़ गांव के 43 वर्षीय किसान छोटेलाल पिता धीरजलाल मेहतो ने यह सोचकर गांव की बैंक में एफडी व बचत खाता खुलवाया था कि जरूरत पड़ने पर जमा पूंजी काम आएगी। बैंक में गबन से उनका खाता खाली हो चुका है।
असर : इनके पास इतना पैसा नहीं था कि अपने 8 एकड़ के खेत में फसल लगा पाते। देरी हो जाने से दूसरे को सिकमी पर भी खेत नहीं दे सके।
बैंक प्रबंधक का जवाब - केस जांच में है, समस्या हल कर सहमति पत्र ले रहे हैं
जिनके बचत, एफडी व केसीसी सभी खातों से रुपए निकले पहले वे केस जांच में हैं। उनकी समस्या हल कर सहमति पत्र ले रहे हैं। आप लोग इतने सारे हैं, सभी के खातों से गबन की गई राशि एक दिन में वापस नहीं आएगी। किसान कहने लगे कि गबन के लिए बैंक जिम्मेदार है। सबको अपना पैसा समय पर वापस चाहिए। जिनके केसीसी व एफडी पर लोन ले लिया है, उनको फर्जी लोन से मुक्त करने का प्रमाण पत्र भी दो। वहीं किसानों ने कहा कि कई मामले हैं जिसमें बैंक प्रबंधक ने रुपए ले लिए पर लाइट नहीं होने व सर्वर फेल होने का बहाना कर पासबुक में एंट्री नहीं की है।
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