पटाखों का मुहूर्त रात 8 से 10 तक

दीपावली, गुरुपर्व, नववर्ष सहित अन्य त्योहारों पर पटाखों की आतिशबाजी रात 8 से 10 बजे तक ही होगी। आतिशबाजी भी केवल पटाखों की होगी, जिनकी आवाज 100 डेसिबल से कम होगी। यही पटाखें ग्रीन पटाखों की श्रेणी के कहलाएंगे। पटाखा बाजार में भी जो पटाखे बिक रहे हैं, उनमें अधिकतर पर ग्रीन सिंबॉल लगा हुआ है।
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण को दृष्टिगत रखते हुए सिर्फ ग्रीन पटाखों की अनुमति दी है। अपर कलेक्टर नंदा भलावे ने बताया बाजार में दुकानदार केवल ग्रीन पटाखों की ही बिक्री करें, जबकि लोग रात 10 बजे तक केवल ग्रीन पटाखें ही छोड़ें। इसके अलावा मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी पटाखा व्यवसायियों व लोगों से अपील की है कि वे कम आवाज वाले ग्रीन पटाखे ही बेचें व फोड़ें, जिससे प्रदूषण भी कम होगा और पशुओं व बच्चों को भी नुकसान नहीं होगा।
गांव में कोरोना गाइडलाइन के तहत लगी 5 पटाखा दुकानें
सिंगोट | गांव में कोरोना काल के नियमों का पालन करते हुए व्यापारियों ने 5 पटाखा दुकानें लगाई हैं। इनके बीच मे 5-5 फीट की दूरी और ग्राहकों को सैनिटाइजर का उपयोग करके ही प्रवेश दे रहे।
क्या है... ग्रीन पटाखा?
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इंदौर संभाग के क्षेत्रीय अधिकारी आरके गुप्ता ने बताया 125 डीबी या 145 डीबी से अधिक ध्वनि स्तर वाले पटाखों का निर्माण, विक्रय व उपयोग प्रतिबंधित है। यानी 100 डेसीबल की आवाज तक के पटाखें ग्रीन पटाखों की कैटेगरी में आते हैं।
प्रदूषण कम करते हैं
ग्रीन पटाखे जलने से 40 से 50% तक कम प्रदूषण होता है। कुछ ग्रीन पटाखों में सल्फर और नाइट्रोजन जैसी गैसें इन्हीं में घुल जाती हैं, क्योंकि जलने के दौरान यह पानी के कण पैदा करते हैं। ग्रीन पटाखों में एल्युमिनियम का प्रयोग कम से कम किया जाता है।
पशुओं व बच्चों को पहुंचाते हैं नुकसान
पटाखों के जलने से उत्पन्न कागज के टुकड़े एवं अधजली बारूद के कचरे से पशुओं व बच्चों को नुकसान की आशंका रहती है। पटाखों को जलाने के बाद कचरे को प्राकृतिक जलस्त्रोत, पेयजल स्त्रोत के पास न फेंकें।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लोगों से अपील.. ग्रीन पटाखे फोड़ें
ज्वलनशील एवं ध्वनि कारक पटाखों के उपयोग को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी हानिकारक बताया है। इन पटाखों के कारण वायु में प्रदूषित तत्वों एवं ध्वनि स्तर में वृद्धि होकर पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ पटाखों की ध्वनि तीव्रता 100 डेसीबल से भी अधिक होती है। अतः इस प्रकार के प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाना अति आवश्यक है, जिससे मानव अंगों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
95% ग्रीन पटाखे हैं बाजार में: पटाखा व्यवसायी इमरान परियानी ने बताया ग्रीन पटाखों में निश्चित आवाज होती है। कंपनियां जो पटाखे बना रही है उनके लाइसेंस व सिंबॉल भी ग्रीन पटाखे के ही मिलते हैं। 95% पटाखे ग्रीन सिंबॉल के साथ ही बाजार में उपलब्ध भी है।
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