बांद्राभान में मेला नहीं लगा पर रोक के बाद भी सैकड़ों श्रद्धालुओं ने किया स्नान

कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा-तवा के संगम बांद्राभान पर स्नान का बड़ा महत्व है। प्रशासन ने स्नान पर राेक लगाई थी लेकिन आस्था के आगे चुनाैती कमजाेर पड़ गई। श्रद्धालुओं ने बांद्राभान संगम सहित नर्मदा घाटाें पर स्नान किया।

बांद्राभान में संगम पर भले श्रद्धालु कम नजर आए लेकिन नर्मदा और तवा के जल का अंतर साफ दिखा। गहराई के कारण नर्मदा जल में रेत नहीं दिखाई दी तो वहीं तवा का जल उथला होने जल के अंदर रेत साफ नजर आई।

काेराेना के कारण इस वर्ष बांद्राभान मेला नहीं लगा। जिला प्रशासन सहित शहर के प्रबुद्ध लाेगाें ने मेला नहीं लगाने काे लेकर शांति समिति की बैठक में सहमति जताई थी। इसके बाद प्रशासन ने निर्णय लिया गया था कि मेला आयाेजित नहीं किया जाएगा।

इन कारणाें से नर्मदा और तवा नदी संगम का महत्व

कार्तिक स्नान : कार्तिक मास में महिलाएं व्रत और हर दिन नर्मदा स्नान करती हैं। पूर्णिमा पर व्रत का समापन करते हैं, इसलिए स्नान का महत्व है।

कथा, पूजन : कार्तिक पूर्णिमा पर परिवार सहित स्नान और नर्मदा पूजन के साथ भगवान सत्यनारायण की कथा, पूजन का पुण्य माना है।

मुंडन, नर्मदा परिक्रमा : बच्चाें का मुंडन नर्मदा तट पर कराया। वहीं कार्तिक पूर्णिमा के दिन संकल्प लेकर लाेग नर्मदा परिक्रमा के लिए रवाना हुए।



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नर्मदा के गहरे और तवा के उथले पानी के संगम पर डुबकी


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