आदिवासी समाज के मसीहा थे बिरसा मुंडा

आदिवासियों की भलाई के लिए अंग्रेजों के खिलाफ जल, जंगल और जमीन की लड़ाई शुरू करने वाले अमर शहीद बिरसा मुंडा ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। बिरसा मुंडा आदिवासियों के मसीहा थे। रविवार को बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित पुष्पांजलि कार्यक्रम के दौरान ये बातें पूर्व मंत्री शबरी महासंघ की कौशल्या गोंटिया ने कहीं। अधारताल तिराहा स्थित प्रतिमा स्थल पर अनेक संगठनों ने बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर रोशन लाल कोल, कुंजीलाल गोंटिया, भैया लाल गोंटिया मौजूद रहे।

बसपा ने अर्पित की पुष्पांजलि
बसपा द्वारा आयोजित पुष्पांजलि कार्यक्रम सेठ बालकिशन, राकेश चौधरी, इंंजी. सुभाष मरकाम, लखन अहिरवार, राकेश समुन्द्रे, डॉ. सतपाल सिंह आदि उपस्थित रहे। वहीं कोल समाज सेवा संघ के विष्णु प्रसाद गोंटिया, पुरुषोत्तम कोल, लक्ष्मी ठाकुर, रंजन गोंटिया, पुष्पलाल कोल, अशोक गौरैया व अन्य ने श्रद्धांजलि दी। इसी प्रकार मप्र जनजागरण मोर्चा के रजनी ठाकुर, राजेन्द्र गोंटिया, शिवप्रसाद बेन, राजाराम ने पुष्पांजलि अर्पित की।
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माॅडल स्कूल में हुआ आयोजन
जननायक बिरसा मुंडा की जयंती पर जिला स्तरीय आयोजन प. लज्जाशंकर झा उ.मा.वि. मॉडल स्कूल के ईव्हीएम हॉल में किया गया। कार्यक्रम में अमर शहीद बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण किया गया तथा उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया गया। वहीं गढ़ाफाटक में बिरसा मुंडा की जयंती पर पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आशीष बैनर्जी थे।



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Birsa Munda was the messiah of tribal society


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