15 दिन में दूसरी बार मावठा; नहर के पानी, बिजली कटौती केे झंझट से छुटकारा, फसल की ग्रोथ अच्छी
शनिवार सुबह से ही घने बादलों के साथ शुरु हुआ रिमझिम बारिश का दौर देर रात तक चलता रहा। ऐसे में रविवार को सुबह के समय घना कोहरा था। स्थिति यह थी कि 20 मीटर दूर का भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था। सुबह 11 बजे तक कोहरे का असर बना रहा। ऐसे में अधिकतम तापमान 21.4 और न्यूनतम तापमान 16.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
पिछले 15 दिनों में दूसरी बार मावठा गिरा है। यह मावठा गेहूं की फसल के लिए अमृत साबित होगा। कृषि मौसम विशेषज्ञ के अनुसार यदि गेहूं की फसल में 20 से 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ में डालें तो उत्पादन और अच्छा होगा। रिमझिम बारिश रबी सीजन के लिहाज से किसानों और सिंचाई विभागों को दोनों को ही बचत वाली होगी। जिले में करीब 50 प्रतिशत रकबे में किसानों को पलेवा के लिए पानी की नहरों से जरूरत ही नहीं पड़ेगी। यही नहीं लाइट की कटौती के चलते डीजल पंप से सिंचाई करने वाले किसानों को सबसे ज्यादा राहत मिली है। सिंचाई के लिए इन किसानों को 1200 से 1500 रुपए खर्च करना होते थे। लेकिन मावठे से अब उन्हें राहत मिली है।
तालाबों में पर्याप्त भंडारण के कारण जहां जरूरत है वहां पलेवा के साथ सिंचाई के लिए पर्याप्त 3 पानी नहरों से छोड़ा जाता है। लेकिन पिछले 15 दिनों में दूसरी बार मावठा गिरने से किसानों को सिंचाई के लिए नहरों के पानी की जरूरत नहीं है। जिससे तालाबों में पानी का स्टॉक बचा है।
15 दिन में मौसम के दो रूप
29 दिसंबर सबसे सर्द, 8 जनवरी को सबसे कम ठंड : पिछले 15 दिनों में मौसम के दो अलग-अलग रंग दिखाई दिए हैं। इस दौरान 29 दिसंबर को सबसे ज्यादा ठंड थी। इस दिन अधिकतम तापमान 19.5 और न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। जबकि 8 जनवरी को सबसे ज्यादा गर्मी थी। अधिकतम तापमान 28.2 और न्यूनतम तापमान 16.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। हालांकि बादलों के कारण 9 जनवरी को न्यूनतम तापमान 17.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
चने में इल्ली का डर
मौसम विभाग के अनुसार बारिश की वजह से माैसम में नमी बढ़ गई है। जिससे फसलों में कीट का प्रभाव बढ़ने की संभावना है। इसमें चने में इल्ली पड़ सकती है। वहीं आलू, लहसुन, पतीता, अमरूद, में काले धब्बे पड़ने की संभावना है। किसान मॉनिटरिंग के साथ फसलों को कीट से बचाते रहें।
इसलिए बदला मौसम
मौसम विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र सिंह तोमर ने बताया कि पिछले दिनों दक्षिण-पूर्वी हवा चलने से बादल छाए थे। जिससे ठंड का असर कम हो गया था। अरब सागर ओर बंगाल की खाड़ी में चक्रवात बनने व पश्चिमी विक्षोभ (पहाड़ी इलाहों में बर्फबारी) के कारण बारिश की स्थिति बनी है। मौसम सामान्य होने से फसलें जल्दी पकने की संभावना थी। लेकिन बारिश होने से फसलों को फिर नया जीवन मिला है।
सिंचाई के लिए 3 बार छोड़ा जाता है पानी पर इस बार जरूरत नहीं
बता दें कि तालाबों में पर्याप्त भंडारण के कारण जहां जरूरत है वहां पलेवा के साथ सिंचाई के लिए पर्याप्त 3 पानी नहरों से छोड़ा जाता है। लेकिन पिछले 15 दिनों में दूसरी बार मावठा गिरने से किसानों का सिंचाई का खर्चा बचेगा। मौसम विभाग अभी 24 घंटे और ऐसा ही मौसम बना रहने की संभावना जता रहा है। इस दौरान हल्की बारिश हो सकती है। आरएके कॉलेज स्थित ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केंद्र के डॉ. सत्येंद्र सिंह तोमर ने बताया कि यह मावठा गेहूं की फसल के लिए बहुत ही फायदेमंद होगा। बता दें कि इस साल जिले में 3 लाख 96 हजार क्षेत्र में रबी सीजन सीजन की बोवनी हुई है।
ऐसे समझें किसानों की बचत
इस साल अभी गेहूं की फसल 35 से 40 दिन की हुई है। ऐसे में दो बार मावठा गिर चुका है। 1 एकड़ खेत की सिंचाई के लिए किसान को करीब 1200 से 1500 रुपए खर्च करना होते थे। लेकिन मावठे ने सिंचाई का खर्चा बचा लिया। मावठे की बारिश से फसलों की ग्रोथ अच्छी होगी और उत्पादन भी बढ़ेगा। वहीं बारिश के कारण लागत में कमी आयी है।
अब आगे क्या
अगले 24 घंटे और मौसम ऐसा ही रहेगा, लेकिन इसके बाद तेजी से तापमान में गिरावट का दौर आएगा। मौसम विभाग के अनुसार रात के न्यूनतम तापमान में 5 डिग्री तक की सीधे गिरावट हो सकती है।
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