महकते पलाश के साथ गूंजेगी मांदल की थाप:5 पीढ़ियों से परमार कालीन मांदल बनाने की कला को बचाए हुए है​​​​​​​ मांडू का यह परिवार, लकड़ी काटने के लिए पेड़ से लेते हैं इजाजत

21 दिन की मेहनत के बाद निकलती है मांदल और ढोल की सुरीली थाप,पिछले 50 वर्षों से उमराव सिंह बना रहे मांदल और ढोल,कई जिलों के आदिवासी समाज के लोग मांडू से बनवाकर ले जाते हैं

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