2 किमी से ज्यादा क्षेत्र में फैली थी टिडि्डयां, सुबह 4 बजे गहरी नींद में जाते ही फेंका कीटनाशक... और वो पेड़ों से गिरने लगीं

बुधवार सुबह चार बजे का वक्त है। भास्कर टीम टिडि्डयों से पटे पड़े खेतों के पास खड़ी है। साथ में राजस्थान, दिल्ली के दल और स्थानीय प्रशासन के लोग हैं। गांव वाले भी जुट गए हैं। अंधेरा होने के कारण स्पष्ट नहीं दिख रहा, लेकिन जिस ओर देखो टिडि्डयों से खेत भरे पड़े हैं। इनकी संख्या हजारों में है। हम करीब 4 घंटे यहां रहे और ऑपरेशन टिडि्डयों का खात्मा देखा। हर सड़क और खेत में मरी हुई टिडि्डयां दिखाई दे रही हैं। जिस कीटनाशक का छिड़काव किया, उसकी बदबू से हमें भी नशा सा हो रहा है। काफी संख्या में ये कीट उड़ गए हैं।
टिड्‌डी दल के हमले की शुरुआत सुसनेर से हुई थी। फिर आगर से होता हुआ टिड्‌डी दल उज्जैन जिले तक पहुंच गया। शहर से करीब 20 किमी दूर रनाहेड़ा गांव के खेतों पर इनके खात्मे का प्लान मंगलवार रात ही तैयार हो गया था। बुधवार सुबह 4 बजकर 10 मिनट पर दिल्ली,राजस्थान, स्थानीय कृषि और प्रशासनिक अफसरों की टीम ने घेराबंदी शुरू की। फायर ब्रिगेड और अन्य वाहनों में कीटनाशक मेलाथ्रोन और लेमड़ा साइक्लोथ्रोन को मिलाया। हजारों टिडि्डयां करीब 2 किमी क्षेत्र में खेत और पेड़ों पर बैठी हुई थीं। अफसरों का कहना था ये रात में उड़ती नहीं हैं, इसलिए सुबह साढ़े चार बजे से इन्हें मारने की कोशिश शुरू हुई। वाहनों की लाइट और आवाज से टिड्डियां यहां-वहां उड़ने लगीं। तुरंत टिड्डी दल पर स्प्रे शुरू किया गया। जहां-जहां से गाड़ी गुजरती कीटनाशक की दुर्गंध से टिड्डियां उड़ती और मरकर गिरने लगीं। बारिश की बूंदों की तरह दवा के प्रभाव से पेड़ों से टपकने लगी थीं। रनाहेड़ा के एक छोर से दूसरे छोर तक दवा का छिड़काव सरकारी अमला करता रहा।
सुबह के साढ़े सात बजे तक टिडि्डयों पर हमला चलता रहा। रात के अंधेरे में शुरू किया गया अभियान उजाला होने पर तेज होता चला गया। टिड्डियां भी तेजी से इधर-उधर उड़ती रहीं, तो कहीं कीटनाशक के प्रभाव से नीचे गिरती रहीं। गांव के बाहर की सड़कें मृत टिड्डियों से पट गई थीं। साढ़े आठ बजे के करीब से टिड्डियां खुद ही हवा के झौंके के साथ उड़ते हुए देवास की तरफ जाने लगीं और यहां का अभियान पूरा हो गया। धीरे -धीरे प्रशासनिक अमला भी वापस चला गया।
अर्ध मृत टिड्डियों को समेटा
गांव के अंतिम कुमार जोशी और मोहन पंचाल ने बताया कि उन्होंने सुना था कि 1993 में खाचरौद तक इसी तरह का टिड्डी दल आया था। इस गांव में पहली बार आया है। हनुमान मंदिर के पास अर्ध मृत टिड्डियों को समेटा जा रहा है। नायब तहसीलदार से इनको नष्ट करने के संबंध में पूछा गया था। प्रशासन ने समेटने के निर्देश दिए हैं। इन्हें जला दिया जाएगा। टिड्डियों ने सब्जी की फसलों को नष्ट कर दिया है। तिल की फसल को नुकसान हुआ है। जानवरों पर असर क्या होता, यह अब एक दो दिन में सामने आएगा।
700 से 900 हैक्टेयर में करती है छिड़काव
जोधपुर (नागौर) टिड्डी नियंत्रण दल के गोकुल प्रसाद का कहना है उनकी टीम रोज 700 से 900 हैक्टेयर एरिया में कीटनाशक का छिड़काव कर रही है। ताकि टिड्डियों को नष्ट किया जा सके। एक लीटर दवा का छिड़काव एक हैक्टेयर में किया जाता है।
मेरा आम का पेड़ खा गईं, छिड़काव कर दो
अल सुबह पांच बजे टिड्डियों पर कीटनाशक का छिड़काव करने वाले दल को देखकर रनाहेड़ा गांव के 60 साल के नग्गाजी पहुंचे और बोले- उनके आम के पेड़ को टिड्डियों ने नष्ट कर दिया है। वहां भी छिड़काव कर दें तो आसपास नुकसान नहीं होगा। उन्होंने बताया कि आज से पहले उन्होंने कभी इस तरह का हमला नहीं देखा। इस दौरान कृषि विभाग के एसडीओ बीएस अर्गल और उनकी टीम भी मौजूद थी। एसडीओ अर्गल ने बताया कि उज्जैन में मंदसौर से टिड्डियों का दल आया है। सोमवार को सूचना के बाद प्रशासन ने बैठक करके निर्देश जारी कर दिए थे।
नुकसान का आकलन होगा, 27 हजार का मुआवजा मिलता है-जोधपुर से आई टीम ने बताया इलाके में जो भी नुकसान हुआ है, उसकी गिरदावरी कराए जाने का प्रावधान है। इसी के आधार पर जिस किसान का नुकसान हुआ है उसे मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। अधिक से अधिक 27 हजार रुपए एक किसान को मुआवजा मिल सकता है। पिछले साल इसी आधार पर राजस्थान सरकार ने मुआवजा दिया था। मप्र सरकार क्या तय करती है यह उसका निर्णय होगा।
जोधपुर से 26 लोगों की टीम चल रही है पीछे -पीछे
टिड्डियों के दल के पीछे -पीछे भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण दल जोधपुर की टीम के 26 सदस्य चल रहे हैं। जहां भी यह टिड्डियां पहुंचती हैं टीम स्थानीय प्रशासन, कृषि विभाग के साथ समन्वय करके नष्ट करने की योजना बनाती है। इस दल के प्लांट प्रोडक्शन ऑफिसर गोकुल प्रसाद और इंचार्ज ओमप्रकाश चौधरी 9 गाड़ियों में चल रहे हैं। टीम 14 मई से जोधपुर से चली थी। टीम हर दिन 200 से 300 किलोमीटर का सफर कर रही है।
छह दल जोधपुर से निकले हैं, जिनसे खतरा : बोरमुंडला
भाजपा जिला अध्यक्ष बहादुर सिंह बोरमुंडला का कहना है कि जोधपुर से छह टिड्‌डी दल निकले हैं। इनके दो दल उज्जैन जिले में आ चुके हैं और यहां से चले भी गए हैं। अब दो दल मंदसौर में है। इनके भी उज्जैन में आने की संभावना है। केंद्रीय जांच दल के आने से 25 से 40 फीसदी टिड्‌डी खत्म हुई है। देवास के बागली में इनकी लोकेशन ट्रेस हुई है। वहीं विधायक रामलाल मालवीय का कहना है कि 60 फीसदी बचाव हुआ है।





Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Locusts were spread over an area of more than 2 km, insecticides thrown as soon as they fell asleep at 4 in the morning… and they started falling from trees.


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3bRtYiF

Share this

0 Comment to "2 किमी से ज्यादा क्षेत्र में फैली थी टिडि्डयां, सुबह 4 बजे गहरी नींद में जाते ही फेंका कीटनाशक... और वो पेड़ों से गिरने लगीं"

Post a Comment