600 गांवों में कोरोना नहीं, पर किसान संकट में, उपज का पैसा नहीं आया

राहुल दुबे , इंदौर जिले की 312 ग्राम पंचायतों और उनसे जुड़े 602 गांव। कोरोना को रोकने और लॉकडाउन का पालन करने किसानों ने बिना किसी सरकारी आदेश के अपनी पाल बांध ली थी। गांव का आदमी गांव में। कहीं कांटों से तो कहीं बैरिकेड से रास्ते बंद कर दिए। कोरोना से किसान बचे हुए हैं, लेकिन फसलें नहीं बिकने का संकट इन्हें गहरा तनाव दे रहा है। हालत यह है कि ज्यादातर किसानों के पास फसल काटने और ढुलाई करने वाले मजदूरों को पैसे देने की स्थिति भी नहीं है।
गेहूं और प्याज के लिए खाद, बीज भी पहले से ही
उधार लिया था। सरकार ने गेहूं तो खरीद लिया, लेकिन भुगतान होने में देरी हो रही है। घर खर्च चलाने वाली प्याज की फसल भी रुला रही है। नगर निगम घरों में तो 22 रुपए किलो
प्याज बेच रही है, लेकिन किसानों को आठ रुपए किलो से ज्यादा भाव नहीं मिल रहेे। किसान मंडी में बेचना चाहते हैं
तो प्रशासन ने रास्ते बंद कर रखे हैं।

दो महीने से कोई आय नहीं

लाॅकडाउन के बाद से सब्जी पर प्रतिबंध लग गया। सब्जी खेतों में ही सड़ कर खाद बन रही है। मवेशी भी खाने को तैयार नहीं हैं। हजारों किसानों ने पिछले एक महीने में एक रुपया भी नहीं कमाया है। मंडी में सब्जी आ नहीं रही। गांव के बाहर सब्ची बेचने नहीं दे रहे। प्याज, लहसुन भी बिकने के इंतजार में हैं।
गांवों में इसलिए नकदी का संकट है
गांवों में नकदी के संकट के कई कारण हैं। सबसे पहला कारण तो यह कि बैंकों से निकासी बंद है। गांवों में एटीएम भी खाली हैं। दूसरा कारण एक हेक्टेयर में लगी फसल को तुड़वाने और ढुलाई करवाने में 20 हजार रुपए खर्च आता है। पांच से 10 श्रमिक लगाना होते हैं। पहले तो फसल बिकने में देरी हुई। अब उसकाभुगतान होने में समय लग रहा है। इस कारण किसानों के हाथ में पैसा भी नहीं बचा है।

घर-घर सब्जी पहुंचाने से मिली मामूली राहत

किसान जगदीश रावलिया, उमेेश मल्हार का कहना है प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान घर-घर सब्जी पहुंचाने का जो निर्णय लिया है उससे थोड़ी राहत मिली है। क्योंकि हमने से व्यापारी जो सब्जी खरीदते है उसके भाव पहुंच कम होते हैं। कुछ सब्जियों में तो हमें लागत निकालना भी मुश्किल होता है। होम डिलीवरी के कारण खेतों में सब्जी सड़ने से बच रही है।

कई गांवों में खेतों में सड़ गई टमाटर की फसल
सनावदिया, पालदा, पीपल्दा, पिवड़ाय, देपालपुर, सांवेर तहसील के गांवों में किसानों ने टमाटर लगाया था। शहर में यह सौ रुपए किलो तक बिक रहा है, लेकिन गांवों में यही टमाटर किसानों को फेंकना पड़ रहा है। कई गांवों में तो किसानों ने टमाटर तोड़ा तक नहीं।
किसानों के लिए इस बार फिर प्याज घाटे का सौदा
लाॅकडाउन के चलते देशभर में प्याज अटका हुआ है। बारिश में प्याज को पानी लग जाता हैै तो वैैसे ही इसके खरीदार नहीं मिलते हैं। घरों में भी डिमांड कम हो जाती है। प्याज को कोल्ड स्टोरेज में भी रखवाना बहुत खर्च का काम है।किसानों को प्याज या तो लागत से भी कम में बेचना होगा या फिर खेतों में ही छोड़ना होगा।
जल्द भुगतान हो तो अगली फसल की तैयारी कर सकें
पीपल्दा के शिव पटेल, जितेंद्र कुमार का कहना है किसानों को संकट से उबारने के लिए सरकार उपज का भुगतान जल्द करे। हाथ में पैसा आने से किसान अगली फसल की तैयारी भी शुरू कर सकेंगे।



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No Corona in 600 villages, but farmers in distress, yield money did not come


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