डॉक्टरों की ड्यूटी में भेदभाव का आरोप, विवाद हुआ शुरू
शहर के जिला अस्पताल में कोरोना वारियर्स और क्लास टू डॉक्टर ने सिविल सर्जन को लिखित में शिकायत की है कि शासन के मुताबिक जिम्मेदारी तय हो और ड्यूटी प्रदान की जाए। ताकि इस महामारी में हम और जज्बे से काम कर सकें। सभी डॉक्टर समय पर खाना और आराम कर सकें। डॉ. मनोज पंचोली ने आरोप लगाते हुए बताया कि कुछ ऐसे हैं जो बिना कारण महामारी से बचने के लिए छुट्टी पर है या कहीं और अन्य स्थानों पर काम कर रहे हैं। जबकि उनको इस समय जिला अस्पताल में काम करना चाहिए होना। यहां पर अस्पताल में कम से कम 8 डॉक्टर की आवश्यकता है।
जरूरत से ज्यादा काम कर रहे हैं डॉक्टर: डाॅ. पंचोली ने बताया कि सुबह 8 से 2 दोपहर, 2 से रात 8 तक, रात के 8 से सुबह 8 तक 3 शिफ्ट में डॉक्टर ड्यूटी कर सकते हैं। परंतु होता यह है कि हम 5 डॉक्टरों को सुबह आठ से दोपहर के 4 बजे तक ड्यूटी देनी पड़ती है। इसमें हम समय पर ना तो खा सकते हैं ना आराम कर पाते हैं। जो डॉक्टर दोपहर को 4 बजे आता है, वह रात के 10 बजे तक जाता है। शासन के अनुसार ड्यूटी लगाई जाए।
डॉ. दिनेश कुमार घनघोरिया मंडी में दे रहे ड्यूटी
डॉ. पंचोली ने बताया कि प्रभारी डॉक्टरों की ड्यूटी मरीजों को देखने के लिए लगाई जा सकती है। पहले डॉ. एनके गुप्ता व दूसरे डॉ. संजय खंडेलवाल। इसके अलावा एनएचएम में 3 लड़कियां हैं। उनसे भी कार्य लिया जा सकता है। लड़कियां हैं तो सुबह की शिफ्ट में उनसे काम करवाया जा सकता है, परंतु वे ब्लड बैंक में काम कर रही हैं। इसी प्रकार दिनेश कुमार घनघोरिया जो क्लास-2 डॉक्टर है। ऐसी महामारी में गेहूं की मंडी में क्या कर रहे हैं। उनकी ड्यूटी वहां क्यों लगाई गई है, जबकि उनको अभी यहां होना चाहिए।
अभी यहां डॉक्टर कर रहे हैं मरीजों का सामना
डॉ. सदाशिव पारीक शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से, जबकि 2 ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से हैं। डॉ. शुभम अग्रवाल और डॉ. सुमित यादव, 2 क्लास टू डॉक्टर हैं डॉ. मनोज पंचोली और नावेद शेख। इन पांचों की ही अस्पताल में तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई जा रही है। ऐसे में इनको आराम और खाने में दिक्कत आ रही है। मतलब साफ है कि यही है असली वारियर्स जो मरीजों का सीधे सामना कर रहे हैं, बाकी डॉक्टर मरीजों का सामना करने से बच रहे हैं।
सीएमएचओ बोले- हमें दो से तीन डॉक्टर की जरूरत है
^हां, जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों की कमी है और हमें दो से तीन डॉक्टर की ओर जरूरत है। जो डॉ. अभी मरीजों को देख रहे हैं। यह लोग भी एनएचआरएम से हैं जिनको रात्रि मैं ड्यूटी का अलग से कोई पेमेंट नहीं होता और जिस गांव से यहां होते हैं वहां का प्राथमिक उपचार केंद्र भी इनको देखना पड़ता है। जिससे वहां के लोग भी इनको यह बोलते हैं कि आप तो दवा खाने में रहते ही नहीं है। धनघोरिया गेंहु उपार्जन केंद्र में लगे हुए हैं। हम ने मांग की है कि वह यहां ड्यूटी दे और महामारी में सहयोग करें। -डॉ. पी.वी. फुलम्बीकर, सीएमएचओ, जिला अस्पताल शाजापुर
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