पहले होम क्वारंटीन का विरोध, खेत में बनी झोपड़ी में पहुँचे छात्र तो खाना देने से भी रोक रहे ग्रामीण

लॉकडाउन में 50 दिनों तक इंदौर में फँसे बेलखेड़ा झलौन के तीन छात्र भगवान से बस एक ही दुआ कर रहे थे कि किसी तरह अपने घर पहुँच जाएँ। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वे घर पहुँचकर अजीब मुसीबत में फँस जाएँगे। 14 मई को झलौन पहुँचते ही ग्रामीणों ने पहले उनके होम क्वारंटीन का विरोध कर दिया। विरोध के बाद तीनों छात्र जब क्वारंटीन के लिए खेत में बनी झोपड़ी में पहुँचे तो ग्रामीणों ने उन्हें खाना देने का भी विरोध करना शुरू कर दिया। बेलखेड़ा झलौन निवासी रोहित यादव, दीपक यादव और कृष्ण कुमार नामदेव ने बताया कि वे इंदौर में एसआई की परीक्षा की कोचिंग कर रहे थे। इसी दौरान लॉकडाउन हो गया। इंदौर में उन्होंने बड़ी मुश्किल से 50 दिन काटे। राज्य सरकार की बस से तीनों 14 मई को झलौन पहुँचे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इंदौर और जबलपुर में उनकी स्क्रीनिंग की गई थी।

बेलखेड़ा थाना प्रभारी ने उन्हें 14 दिन होम क्वारंटीन में रहने के लिए कहा, जैसे ही तीनों घर पहुँचे तो ग्रामीणों ने उनके घर पर रहने का विरोध करना शुरू कर दिया। ग्रामीणों को समझाया गया कि वे कोरोना पाॅजिटिव नहीं हैं, उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से होम क्वारंटीन किया गया है, लेकिन ग्रामीण मानने के लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद तीनों खेत में बनी झोपड़ी में रहने के लिए आ गए। उनके चाचा खेत पर खाना पहुँचाने आ रहे थे। ग्रामीणों ने उनके चाचा को भी रोकना शुरू कर दिया। उनके चाचा ने गाँव वालों को समझाया कि वे दूर से ही खाना पहुँचाकर आ रहे हैं, इसके बाद भी ग्रामीण मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

परिजनों से भी बात नहीं कर रहे ग्रामीण
छात्रों ने बताया कि ग्रामीण उनके परिजनों से भी दूरी बना रहे हैं। उनके परिवार वालों को दुकानदार सामान नहीं दे रहे हैं। दूध वाले भी उन्हें दूध नहीं दे रहे हैं। ग्रामीण ऐसा व्यवहार कर रहे हैं कि जैसे वे कोरोना के मरीज हों। गाँव वाले उनके परिजनों से बातचीत तक नहीं कर रहे हैं। उनके परिवार को भी बिल्कुल अलग-थलग कर दिया गया है।

आँधी से झोपड़ी का छप्पर उड़ा

छात्रों ने बताया कि सोमवार दोपहर तेज आँधी चलने से झोपड़ी का छप्पर उड़ गया। छप्पर उड़ने से उनका बिस्तर और कपड़े गीले हो गए हैं। छात्रों ने प्रशासन से माँग की है कि उन्हें किसी सुरक्षित जगह पर क्वारंटीन किया जाए।



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Opposition to home quarantine first, the students who reached the hut built in the field, the villagers are stopping from giving food


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