लॉकडाउन के बीच राजनगर तालाब की सुंदरता में आया निखार छह माह का पानी भी एकत्रित

100 साल पहले अंग्रेजों ने रखी थी मेरी नींव, बीच में कई बार सूखा, ऊंचाई बढ़ने के बाद भरपूर पानी
मैं शहर से 6 किमी दूरी पर बसा 100 साल का राजनगर तालाब हूं। मुझे शहर की प्यास बुझाने के लिए 1919 में ब्रिटिश शासन के इंजीनियर एम डैरिक ने बनाया था। उस समय शहर की स्टील पानी की टंकियों तक पानी पहुंचाने के लिए स्ट्रीम पंप का सहारा लिया जाता था, क्योंकि तब बिजली नहीं हुआ करती थी। कुछ समय तक तो सब ठीक ठाक चला, मगर बाद में घाट के नीचे से एक लीकेज आने से मेरा जलस्तर गिरने लगा। सालों से निरंतर लीकेज बना रहा पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। लीकेज ठीक करने भोपाल से कई विशेषज्ञ तक आए, लेकिन समाधान किसी ने नहीं निकाला।
इस बीच शहर में पेयजल के गंभीर हालात पैदा हो गए। एक समय तो शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए नगर पालिका को आसपास की नदियों से टैंकरों से पानी लाकर फिल्टर प्लांट में डालना पड़ा था। इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए मेरे बांध की ऊंचाई बढ़ाई गई। पहले मेरी क्षमता 360 मीटर थी, अब 363 मीटर है, इसी तरह पानी के भराव की क्षमता 68 से 183 एमसीएफटी कर दी गई। जब से मेरी भराव क्षमता बढ़ाई गई है। तब से मेरे उदर में भरपूर पानी ठहरने लगा है। पिछले दो माह से लॉकडाउन के बीच मेरी सुंदरता में भी निखार आया है। नगर पालिका इंजीनियर मेघ तिवारी ने बताया कि वर्तमान में राजनगर में 358.25 मीटर अर्थात 115 एमसीएफटी पानी एकत्रित है। वहीं दूसरी ओर व्यारमा नदी के जुझारघाट से भी लगातार मुझमें पानी छोड़ा जा रहा है। जिससे अब गर्मियों में भी मेरे पास इतना पानी जमा है कि आगामी छह माह तक लोगों को पानी की समस्या नहीं आएगी। लेकिन शहरवासियों से आग्रह है कि पानी को व्यर्थ बर्बाद न करें। जरूरत के अनुसार ही उपयोग करें।
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