भगवानपुरा तालाब के गेट की मरम्मत करने सीवन नदी में छोड़ा पानी, फायदा: जलस्तर बढ़ने से बोर रिचार्ज होंगे

भगवानपुरा और जमोनिया तालाब दोनों से ही शहर को पानी की सप्लाई की जाती है। 18 अक्टूबर को भगवानपुरा तालाब के स्लुइस गेट (जल द्वार) में आई खराबी से नहर में पानी बहने लगा था। इस दाैरान हर रोज करीब 25 लाख लीटर पानी की बर्बादी हो रही थी। इसके बाद इसे सिंचाई विभाग ने जुगाड़ कर इस लीकेज को रोक दिया था लेकिन फिर भी पानी का रिसाव हो रहा था। अब बारिश आने से पहले गेट की मरम्मत का काम शुरू होगा, इसलिए इसका पानी अब सीवन नदी में पानी छोड़ा गया है। नदी में पानी आने से शहर का जलस्तर बढ़ेगा पर पीने लायक पानी नदी में आने से गंदा भी हो जाएगा। क्योंकि नपा ने सीवन की सफाई नहीं कराई है जिससे इसमें जो पानी है, उस पर काई जमी है।
भगवानपुरा तालाब में स्लुइस गेट की रॉड में खराबी आ गई थी। जब सफलता नहीं मिली थी तो जुगाड़ का सहारा लिया गया। इस दौरान पुराने गद्दों को मिट्टी लपेटकर तालाब के अंदर गेट के शटर तक डाला गया था।
किसानों की भी है डिमांड
किसानों ने भी पानी छोड़ने की डिमांड की थी। इसी तरह गर्मी के मौसम में मवेशियों के लिए भी पानी की जरूरत रहती है। इसी तरह सीवन नदी भी सूखी थी। इसलिए तालाब के पानी से नदी भर जाएगी। इससे किसानों को भी पानी मिलेगा
नदी भरेगी तो चलने लगेंगे सूखे हैंडपंप
सीवन नदी का महिला घाट सूख चुका है। बैगन घाट पर भी पानी नहीं है। तालाब का पानी आने से अब नदी भरना शुरू हो जाएगी।
सीवन नदी के लबालब भरे होने से आसपास के क्षेत्रों का जल स्तर भी बेहतर रहता है। यही कारण है कि कुछ दिन से सूख रही सीवन नदी के कारण कई बोरों और हैंडपंपों में पानी कम हो गया था। अब फिर से ये रिचार्ज हो जाएंगे।
निस्तार के कामों के लिए नदी के लबालब होने से पानी मिल सकेगा। किसानों को भी पानी उपलब्ध हो सकेगा। कई जगह मवेशियों को पानी पिलाने के लिए भी पानी का उपयोग किया जाता है। नदी से अब यह पानी मिल सकेगा।
साफ पानी नदी में आकर गंदा हो जाएगा
नगर पालिका ने सीवन नदी की सफाई नहीं कराई। पिछले कुछ समय पहले से नदी में काई और जलकुंभी छाने लगी थी। इसके बाद में जब पानी कम हो गया तो इसकी सफाई होना जरूरी था लेकिन इस पर काम नहीं हुआ।
नदी की सफाई नहीं होने से अब तालाब का जो पानी है वह नदी में जाएगा। इससे नदी तो भर जाएगी लेकिन पानी दूषित होने लगेगा। यदि सफाई की होती तो अब नदी में छोड़े पानी से काफी फायदा होता।
जिस पानी का उपयोग पीने के लिए होना था उसका काफी हिस्सा इस तरह बर्बाद हो जाएगा। क्योंकि जब पानी छोड़ा जाता है तो काफी पानी सूख जाता है। गर्मी के कारण भी इसका सही उपयोग नहीं हो पाएगा।
15 फीट तालाब में है पानी
इस संबंध में जल संसाधन के एसडीओ ताहिर अली का कहना है कि भगवानपुरा तालाब में करीब 15 फीट पानी है। इसके स्लुइस गेट की राॅड खराब हो गई थी। अभी हमने किसी तरह इसके गेट को ऊपर उठा दिया है और इस तरह से पानी छोड़ा गया है। किसानों की भी डिमांड थी कि पानी छोड़ा जाए। प्रशासन ने भी इसके लिए निर्देशित किया था। इस नदी भी भर जाएगी तो वहीं खेती के लिए भी फायदा होगा। यही कारण है कि कम पानी छोड़ा गया है। धीरे धीरे पानी कम होगा जिससे आने वाले दिनों में भी पानी का संकट नहीं होगा। पर्याप्त पानी होने से भी समस्या कम है।
पिछले साल तालाब सूखा था
मई माह की बात करें तो पिछले साल भगवानपुरा तालाब सूख गया था। इस समय तालाब की स्थिति यह थी कि यहां पर नालियां खोदी जा रही थीं जिससे पूरा पानी एक जगह एकत्रित किया गया था। इस पानी को बाद में सप्लाई के काम में लिया गया। ऐसा कई सालों बाद हो रहा है कि तालाब भरा हुआ है।
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