अब इंग्लैंड में ‘हैंडशेक’ की जगह ‘नमस्ते’, प्राणायाम और आयुर्वेद से भी जुड़े

ऑनलाइन परिचर्चा में इंग्लैंड निवासी भारतीय मूल की गीता रूपाराय ने बताया कोरोना संकट से बचने के लिए इंग्लैंड के लोग भारतीय मान्यताओं को अपना रहे हैं। हाथ मिलाने की जगह दोनों हथेलियों को जोड़ कर नमस्ते की मुद्रा में अभिवादन करने लगे हैं। ध्यान, योग, प्राणायाम, आयुर्वेद की भी पूछ-परख हो रही है। पहली बार विदेशियों को ऐसा करते देख अपने भारतीय होने पर हमें गर्व हो रहा है।
भारतीय शिक्षण संस्थान ने अंतरराष्ट्रीय वेबिनार किया। इसकी जानकारी मिलने पर गीता ने संपर्क कर इससे जुड़ने का आग्रह किया था। वे संस्था से परिचित नहीं थी लेकिन उन्होंने परिचर्चा में देश की अन्य विदुषियों की बातें सुनी तो वे मुखर हो गईं। वे पश्चिमी देशों में आ रहे बदलाव को लेकर चर्चा कर रहीं थी। उनका कहना था कि भारतीय मान्यताओं में ऐसी सभी बातें हैं जिनकी सिफारिश आज कोरोना से बचाव के लिए विश्वस्तर पर की जा रही है। मंडल के महिला प्रकल्प की राष्ट्रीय सह प्रमुख अरुंधति कावड़क ने गीता द्वारा दी जा रही जानकारी को महत्वपूर्ण बताया। मालवा प्रांत प्रमुख डॉ प्रेरणा मनाना ने यह परिचर्चा आयोजित की। इसमें सावित्री महंत, रेखा मेहता, रेखा भार्गव, सुकीर्ति व्यास, श्रद्धा व्यास, माधुरी सोलंकी ने भागीदारी की।
दैनिक जीवन शैली में कोरोना से बचाव का संदेश- रेखा भार्गव
रेखा भार्गव ने कहा हमारी संस्कृति आशावादी जीवन पद्धति है। काल के थपेड़ों से इसका क्षरण तो हो सकता है लेकिन यह नष्ट नहीं हो सकती है। यह समय हमारी संस्कृति की विजय का समय है। माधुरी सोलंकी ने कहा आज की परिस्थिति को देखते हुए विश्व को भारतीय संस्कृति को अपनाना ही होगा। विश्व को हाय हैलो से हटकर नमस्कार करना होगा। तिलक लगाकर अपने आज्ञा चक्र को जगाना होगा। यज्ञ हवन से जुड़ना होगा। योग, प्राणायाम व आयुर्वेद को अपनाना होगा। सुकीर्ति व्यास ने कहा दैनिक जीवन में कोरोना से बचाव का संदेश है। घर में प्रवेश के समय हाथ-पौर धोना, एक दूसरे से दूरी, स्पर्श से परहेज, रसोई घर की सफाई, सूतक पालन, सिर-मुंह ढंकना, यह सब अब सोचो तो लगता है सब वैज्ञानिक है और सब मान रहे हैं।
प्राचीन जीवन पद्धति बनी आधार
अरुंधती कावड़कर ने कहा भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन है। नव नवोन्मेष शाली संस्कृति होने से यह हर काल खंड में अपना अस्तित्व साबित करती आई है। इसमें दिन प्रतिदिन नवांकुर होते हैं। कोरोना ही नहीं, जब-जब विश्व पर ऐसी आपदा आई, भारतीय संस्कृति वे विश्व का मार्गदर्शन किया और मदद की। डॉ. मनाना ने भारतीय सनातन संस्कृति को शाश्वत और प्रामाणिक बताते हुए कहा कि विश्व ने भारत के योग की स्वीकार्यता के बाद आयुर्वेद, जीवनशैली, परिवार मूल्य और सहकार, त्याग पूर्ण उपभोग दृष्टि को मान्यता दी है। सावित्री महंत ने कहा- ब्रम्हा, विष्णु, महेश सहित अग्नि, आदित्य, वायु और अंगिरा ने इस धर्म की स्थापना की। ऋग्वेद की ऋचाओं में लगभग 414 ऋषियों के नाम मिलते हैं, जिनमें लगभग 30 नाम महिला ऋषियों के हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3h8HGS6
0 Comment to "अब इंग्लैंड में ‘हैंडशेक’ की जगह ‘नमस्ते’, प्राणायाम और आयुर्वेद से भी जुड़े"
Post a Comment