जनवरी में मिलेगी रतलाम से चित्तौड़गढ़ तक इलेक्ट्रिक इंजिन से ट्रेन चलाने की परमिशन

जनवरी अंत या फरवरी प्रथम सप्ताह में रतलाम से चित्तौड़गढ़ तक मालगाड़ी और यात्री ट्रेन इलेक्ट्रिक इंजिन से चलने लगेगी। सोमवार को कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) के निरीक्षण में कोई बड़ी खामी नहीं मिली है। कमियों को दूर करने सीआरएस आरके शर्मा ने अधिकारियों को नोटिंग कराई है। इसके चलते रेलवे को उम्मीद है कि जनवरी में सीआरएस परमिशन मिल जाएगी। कई बार ट्रायल भी हो चुके हैं इसलिए इलेक्ट्रिक लोको से गाड़ियों को चलाने में रेलवे को दिक्कत नहीं होगी। मंगलवार को सीआरएस उज्जैन-करछा डबलिंग चेक करेंगे। डीआरएम विनीत गुप्ता ने बताया कि निरीक्षण बहुत अच्छा रहा। पूरी उम्मीद है ओके रिपोर्ट मिलेगी।

55 मिनट देरी से हुआ निरीक्षण - निरीक्षण सोमवार सुबह 9.30 बजे की बजाय 55 मिनट की देरी से 10.25 बजे शुरू हुआ। वजह प्लेटफॉर्म चार के वीआईपी रूम में हुई मीटिंग रही। सीआरएस ने इसमें डीआरएम विनीत गुप्ता सहित अन्य अधिकारियों से अपडेट लेने के साथ रिकॉर्ड चेक किए। प्लेटफॉर्म दो पर टॉवर वैगन में सवार होकर 3.2 किमी लंबे क्यू ट्रैक का इलेक्ट्रिफिकेशन जांचते हुए धौंसवास पहुंचे।

कर्व और ब्रिज पर केबल की ऊंचाई नपवाई
स्पेशल ट्रेन से सीधे निंबाहेड़ा पहुंचने के बाद सीआरएस ने फिर निरीक्षण शुरू किया। इसमें गंभीरी ब्रिज, शंभुपुरा और बीच के कर्व पर ट्रेन से उतरे। कर्व व ब्रिज के ऊपर से गुजर रही ओएचई की ऊंचाई नपवाई। चित्तौड़गढ़ सब स्टेशन देखने के बाद सीआरएस वापस निंबाहेड़ा पहुंचे। यहां से नई बिछाई गई दूसरी लाइन का इलेक्ट्रिफिकेशन जांचने के लिए 100 किमी प्रति घंटे पर स्पीड ट्रायल किया। रात 9.20 बजे शंभुपुरा से रवाना होकर 110 से 120 किमी की रफ्तार पर रात 12.20 बजे रतलाम पहुंचे।



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रतलाम से धौंसवास तक वाले क्यू ट्रैक के इलेक्ट्रिफिकेशन को जांचते सीआरएस।


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