मरीज बढ़ रहे इसलिए होना चाहिए ज्यादा सैंपलिंग हकीकत : सैंपलिंग घटी, क्योंकि 40 किट ही बची

अहद खान ,जुलाई में कोरोना तेजी से बढ़ रहा है और अभी सैंपलिंग की सबसे ज्यादा जरूरत है। हर दिन औसत 3 से 4 मरीज मिल रहे हैं। ऐसे में उनके कांटेक्ट वाले, मोहल्ले वाले और रिश्तेदारों के सैंपल लिए जाना होते हैं। लेकिन यहां ऐसा नहीं किया जा रहा।
कारण ये कि जिला
अस्पताल की लैब में ट्रू नाट (न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट) मशीन के लिए जिस किट से सैंपल लिए जाते हैं, वो
खत्म होने को है। भोपाल से मांगे थे, लेकिन 200 के बदले
सिर्फ 100 मिले। दूसरी ओर जिन किट में सैंपल इंदौर या भोपाल भेजे जाते थे, वो पर्याप्त रूप से रखे हुए हैं। ऐसे में अब तैयारी ये की जा रही है कि अगर ज्यादा सैंपल लेने पड़े तो इंदौर सैंपल भेजेंगे। फिर चाहे रिपोर्ट 2 दिन में मिले या 8 दिन में।

ये है दो तरह की सैंपलिंग किट
{वीएलएम (वायरस लाइसिस मीडियम)

ये जिला अस्पताल की लैब में 15 जून से शुरू हुई ट्रू नाट मशीन से टेस्टिंग के लिए सैंपलिंग के काम में आती है। सैंपल लेकर डिब्बे में डालने पर 80 से 90 प्रतिशत वायरस खत्म हो जाता है। ट्रू नाट मशीन से टेस्ट में वीएलएम काम में आती है। ये भोपाल से ही मिल रही हैं। पहले 1200 आई थी, अब इससे ज्यादा इस्तेमाल हो चुकी। एक हजार से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं। सोमवार को गाड़ी भोपाल भेजी थी, लेकिन वहां कर्मचारियों में संक्रमण निकलने से गोडाउन बंद मिला। 100 किट देकर गाड़ी लौटा दी। इसमें से 60 पारा, थांदला, राणापुर भेज दी। यहां सिर्फ 40 बची हैं, इमरजेंसी के लिए।
{वीटीएम (वायरस ट्रांसपोर्ट मीडियम)
ये किट जिले में ढाई हजार से ज्यादा रखी है। जिला अस्पताल में, सीएमएचओ स्टोर में और जिले के कई अस्पतालों में। लेकिन इस किट के सैंपलों से जांच यहां नहीं हो पाती। इसमें जांच करने वाले कर्मचारियों को संक्रमण का खतरा भी काफी ज्यादा है। इस किट में वायरस कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता रहता है। प्लानिंग ये की जा रही है कि ज्यादा जरूरत होने पर सैंपल इस किट से लेकर जांच के लिए इंदौर भेजना शुरू करेंगे। झाबुआ में सिर्फ संक्रमितों के काफी क्लोज कांटेक्ट वालों और लक्षण वाले संभावितों की जांच करेंगे। यानि जिनकी रिपोर्ट जल्दी चाहिए।



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Patients should be growing, therefore more sampling should be a reality: sampling decreased, because only 40 kits left


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