160 साल बाद लीप ईयर व अधिकमास साथ, नवरात्रि व श्राद्ध में 1 माह की दूरी

इस साल अश्विन अधिकमास रहेगा। श्राद्ध खत्म होते ही अधिकमास शुरू होगा। इस कारण नवरात्रि सहित अन्य त्योहार देरी से आएंगे। यह बड़ा संयोग है कि अंग्रेजी का लीप ईयर और अधिकमास 160 साल बाद एक साथ आ रहे हैं।
हर साल पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्रि शुरू होती है। लेकिन अश्विन अधिकमास होने से दोनों के बीच एक महीने का अंतर आएगा। उज्जैन की ज्योतिषविद् अर्चना सरमंडल के अनुसार नवरात्रि देवी आराधना का पर्व है। अधिकमास पुरुषोत्तम मास कहलाता है। नवरात्रि में घट स्थापना के साथ 9 दिनों तक देवी की आराधना होती है। इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा। पं. हरिओम कृष्ण शास्त्री के अनुसार आश्विन में अधिकमास और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ होने का संयोग करीब 165 साल बाद होने जा रहा है। इस बार चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा।

क्यों बनता है अधिकमास व लीप ईयर
ज्योतिषियों के अनुसार भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 महीने के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक अधिकमास आता है। अंग्रेजी कैलेंडर में भी चार वर्ष में एक बार लीप ईयर आता है। लीप ईयर में फरवरी में 28 के बजाएं 29 तारीखें होती है। 2020 में लीप ईयर एवं अश्विन का अधिकमास दोनों एक साथ आएं है। अश्विन का अधिकमास 19 साल पहले 2001 में आया था, किंतु लीप ईयर के साथ अश्विन में अधिकमास 160 साल पहले 2 सितंबर 1860 से प्रारंभ हुआ था।

17 को श्राद्ध खत्म, फिर अधिकमास
श्राद्ध 1 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर को खत्म होंगे। यानी 18 सितंबर से अधिकमास शुरू होगा तथा 16 अक्टूबर को समाप्त होगा। 17 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू होगी। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। इसके साथ चातुर्मास समाप्त होंगे और शुभ कार्य शुरू होंगे। अधिकमास के कारण इस बार दशहरा 25 अक्टूबर को, दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी।
पुरुषोत्तम मास नाम विष्णुजी ने दिया
पौराणिक कथाओं अनुसार मलिन होने के कारण कोई इस मास का स्वामी नहीं होना चाहता था। तब इस मास ने भगवान विष्णु से अपने उद्धार की प्रार्थना की। तब स्वयं भगवान ने इसे अपना नाम पुरुषोत्तम प्रदान किया। आशिर्वाद दिया की जो इस माह में भगवत कथा श्रवण, मनन, भगवान शंकर का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दानादि करेगा वह अक्षय फल प्रदान करने वाला होगा।



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160 years later with leap year and Adhikamas, 1 month distance in Navratri and Shradh


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