रायसेन के जंगलों से मरणासन्न हालत में चार महीने पहले लाया गया तेंदुआ अब स्वस्थ; रातापानी अभयारण्य में छोड़ा गया

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों और कर्मचारियों की मेहनत से 18 जनवरी की रात रायसेन वन मंडल के गीदगढ़ से मरणासन्न हालत में लाया गया तेंदुआ आज पूरी तरह स्वस्थ हो गया है। डॉ. अतुल गुप्ता और सहयोगी दल द्वारा तेंदुए को बचाने के लिये दिन-रात किये गये अथक प्रयासों के बाद रविवार को 4 महीने बाद तेंदुए को स्वस्थ एवं सुरक्षित हालत में रातापानी अभयारण्य में सुबह 9:25 बजे छोड़ दिया गया।

तेंदुआ गीदगढ़ में तारों में बुरी तरह फंस गया था। लाते समय इसकी हालत अत्यंत गंभीर थी। छाती एवं पेट पर चारों ओर पूरी गोलाई में कंधे के नीचे काफी गहरे घाव थे, जो कि फेंसिग वायर के कसे होने के कारण काफी गहरे हो गये थे। तेंदुए द्वारा तारों में फंस जाने पर निकलने के पुरजोर प्रयास के कारण घाव और ज्यादा गंभीर होते चले गए। डॉ. अतुल गुप्ता के नेतृत्व में रेस्क्यू टीम इसे लेकर आधी रात में भोपाल वन विहार पहुंची और तत्काल मेडिकल ट्रीटमेंट दिया गया था।

तेंदुए को वन-विहार के वन्यप्राणी चिकित्सालय के इंडोर वार्ड में रखा जाकर सीसीटीवी के माध्यम से 24 घंटे निगरानी की गई। घाव इतने गंभीर थे कि तेंदुए ने शुरू के 13 दिन तक कुछ भी नहीं खाया। डॉ. गुप्ता ने सलाइन और पानी के दम पर उसे जीवित रखा। इतनी कठिन परिस्थिति में भी उसको 2 बार बेहोश कर सर्जरी करनी पड़ी। लगातार उपचार और देख-भाल के बाद तेंदुआ धीरे-धीरे बिल्कुल ठीक हो गया।

वन विहार की संचालक कमलिका मोहंता के अनुरोध पर स्वास्थ्य परीक्षण के बाद तेंदुए को प्राकृतिक समकक्ष रहवास में छोड़ने के निर्देश दिए। पंचगणों की मौजूदगी में बरखेड़ा परिक्षेत्र की पांझिर बीट में रविवार तेंदुए को छोड़ दिया गया।



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The leopard, brought four months ago in a dying state from Raisen's forests, is now healthy; Left in Ratapani Sanctuary


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