जो ट्यूशन फीस कोरोना काल से पहले ले रहे थे, स्कूल खुलने तक सिर्फ वही राशि ली जाए

प्रदेश के निजी स्कूलों को हाईकोर्ट ने मंगलवार को अंतरिम आदेश सुनाते हुए कहा है कि कोरोना संकट के दौरान वे अभिभावकों से सिर्फ ट्यूशन फीस ही वसूल सकेंगे। ट्यूशन फीस की राशि उतनी ही होगी, जो कोरोना के आने से पहले थी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के सामने निजी स्कूलों की ओर से कहा गया कि कोरोना काल के बाद अन्य मदों की फीस वसूलने की स्वतंत्रता उन्हें दी जाए। इस पर युगलपीठ ने आगे विचार करने के निर्देश देकर सुनवाई 10 सितंबर तक के लिए मुल्तवी कर दी।
युगलपीठ ने यह अहम अंतरिम व्यवस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपाण्डे और रजत भार्गव की ओर से दायर जनहित याचिका पर दी। इस याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के निजी स्कूलों में फिलहाल ऑनलाइन व डिजिटल क्लासें चलाई जा रहीं हैं, जिनमें अधिकांश छात्र मोबाइल के जरिए कनेक्ट किए जाते हैं। आवेदकों का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन व कई नेत्र रोग विशेषज्ञों ने कहा है कि 6 इंच की स्क्रीन वाले मोबाइल से बच्चों की आँखों पर बुरा असर पड़ेगा। ऐसे में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई उनके स्वास्थ्य के लिए घातक है। याचिका में यह भी आरोप है कि बीते 24 अप्रैल को राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने के आदेश दिए थे, लेकिन उसके बाद से निजी स्कूलों ने इस साल की ट्यूशन फीस में ही वृद्धि कर दी, जो अवैधानिक है।
स्कूल फीस से संबंधित मामलों पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय, राज्य शासन की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली और निजी स्कूलों की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ गुप्ता हाजिर हुए। सुनवाई के बाद युगलपीठ द्वारा सुनाए गए विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है।

ग्वालियर के 92 न्यायिक कर्मियों को मिली राहत
जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ ने ग्वालियर की जिला अदालत में काम कर रहे उन 92 न्यायिक कर्मचारियों को राहत दी है, जिनको कम्प्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त करने पर 6 फरवरी 2006 को एक वेतनवृद्धि प्रदान की गई थी। 15 जून 2020 को उक्त वेतनवृद्धि को निरस्त करने के संबंध में जारी आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता डीपी सिंह व हर्ष गुप्ता पैरवी कर रहे हैं।

नयागाँव में तेंदुए की दहशत, हाईकोर्ट ने कहा- तत्काल एक्शन लेकर रिपोर्ट पेश करे सरकार
हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को कहा है कि पिछले दस माह से नयागाँव क्षेत्र में तेंदुए की दहशत को लेकर वह तत्काल एक्शन ले। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अब तक उठाए गए और आगे उठाए जाने वाले कदमों का ब्यौरा पेश करने के निर्देश देकर सुनवाई 15 सितंबर तक के लिए मुल्तवी कर दी है।
नयागाँव निवासी रजत भार्गव की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि नवम्बर 2019 में पहली बार तेंदुए को नयागाँव क्षेत्र में देखा गया था और तब से अब तक वह कई बार दिखाई दे चुका है। उसके बाद से वहाँ पर एक नर, एक मादा तेंदुए को दो शावकों के साथ भी देखा गया। तेंदुओं के कारण क्षेत्र के हर एक घर में दहशत बरकरार होने के चलते यह याचिका दायर की गई।
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी की दलील थी कि कम से कम उस इलाके में सर्च लाइट लगाई जाएँ, ताकि तेंदुए लोगों को दिखाई दे सकें। युगलपीठ ने उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली को मामले पर कार्रवाई करके रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।



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Those who were taking tuition fees before the Corona period, only that amount should be taken till the school opens


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