10 दिन से बंद हैं प्रदेश की मंडियां, बाहर 20% तक सस्ती फसल बेचने को मजबूर किसान; 272 मंडियाें मेंं 90 हजार से ज्यादा व्यापारी हड़ताल पर

प्रदेश की 272 मंडियों में 90 हजार से अधिक व्यापारी 10 दिन से हड़ताल पर हैं। नीलामी बंद है। रोज मंडियों में कृषि उपज लेकर आ रहे किसान लौट रहे हैं। बाहर उनसे व्यापारी और कंपनियां 1000 रुपए क्विंटल तक सस्ती फसलें खरीद रहीं हैं। इन दिनों पूरे प्रदेश में करीब 1.36 लाख टन कृषि उपज की रोजाना आवक हो रही है।
करोंद स्थित कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष हरीश ज्ञानचंदानी कहते हैं, किसान हमें फोन करते हैं। वे पूछते हैं कि मंडी में नीलामी हो रही है कि नहीं। हम उन्हें मना कर रहे है। लेकिन उन्हें आवश्यक जरूरतों के लिए पैसा चाहिए। इसलिए मंडी के बाहर व्यापारियों और कंपनियों को उनके भाव पर फसल बेच रहे हैं। हड़ताल के पहले तक मंडियों में सोयाबीन का भाव 3500 रुपए क्विंटल तक चल रहे थे। लेकिन बाहर इस समय सोया कंपनियां 2500-3000 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में ही किसानों से कृषि उपज खरीद रही हैं।
बारिश से सोयाबीन की फसल को नुकसान
सितंबर में हुई बारिश के कारण सोयाबीन की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है। मध्यम दर्जे की फसलों की आवक ज्यादा है। किसान इसे ज्यादा दिन तक अपने पास नहीं रख सकते। उन्हें पानी लगी इस कृषि उपज के खराब होने की आशंका है। एक अन्य व्यापारी संजीव जैन ने बताया कि सोयाबीन के साथ किसान बाजार में पिछले साल भंडार करके रखे गए चना भी लेकर बाजार में आ रहे हैं। हड़ताल के पहले तक इसके दाम 5200 रुपए क्विंटल चल रहे थे। लेकिन अब बाहर के व्यापारी नीलामी न होने का फायदा उठाकर इसे 4700 रुपए क्विंटल ही खरीद रहे हैं।
हमें जानकारी नहीं
मंडियों में माल नहीं तुल रहा है। इसलिए हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि किसान किसे कृर्षि उपज बेच रहे हैं।
राजेंद्र बघेल, मंडी सचिव, करोंद मंडी
बाहर न तो किसान को न्यूनतम भाव की गारंटी है न ही सही तोल की। खरीदार को मंडी टैक्स भी नहीं देना पड़ रहा है।
हरीश ज्ञानचंदानी, अध्यक्ष, करोंद मंडी व्यापारी संघ, भोपाल
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