ठेकेदार ने बगैर इंजीनियर के बेतरतीब ढंग से बिछा दी पाइप लाइन, इंटेकवेल भी नहीं बना

सरकार द्वारा चार-पांच साल पहले स्वीकृत जल आवर्धन योजना की राशि मिलने और करीब तीन चौथाई खर्च होने के बाद भी नगरवासियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। योजना के तहत भगवंत सागर बांध से पानी लाया जाना है। ठेकेदार ने बांध के करीब से नगर तक और वार्डों में बेतरतीब ढंग से पाइप लाइन बिछा दी है। पाइप का लेवल भी मजदूरों ने ही तय किया। ऊंचे-नीचे पाइप दबे होने से इनमें टूट-फूट और लीकेज होना तय है। नगर परिषद अब तक इंटेकवेल का स्थान तक तय नहीं कर पाई है। लोगों को लग रहा है कि बगैर लाभ मिले ही स्वीकृत 12.25 करोड़ रुपए पानी में चले जाएंगे।
नगर के लोग कई साल से पेयजल संकट भोग रहे हैं। विशेषकर गर्मी के दिनों में ज्यादा दिक्कत होती है। नगर परिषद सूत्रों के अनुसार करीब 10 साल पहले पीएचई ने भी नगर की नल-जल योजना पर 60 लाख रुपए खर्च किए थे। इसके बावजूद पेयजल संकट का स्थायी समाधान नहीं हो सका। शिवराज सरकार के तीसरे कार्यकाल में नगर परिषदों के लिए जल आवर्धन योजना शुरू की गई थी। करीब छह साल पहले नगर परिषद को भी 12.25 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। परिषद ने काम का ठेका भी दे दिया। ठेकेदार ने सबसे पहले .मजदूरों के भरोसे ही नगर के 15 वार्डों में पाइप लाइन बिछा दी। जबकि सबसे पहले इंटेकवेल का काम शुरू होना चाहिए था। पाइप लाइन भी कहीं एक तो कहीं दो फीट गहरी नाली खोदकर दबा दी गई। पूरे काम के दौरान ठेकेदार का नगर परिषद के इंजीनियर मौजूद नहीं रहे।
90 प्रतिशत हिस्से में खुदाई कर बिछा दी पाइपलाइन, लेकिन टेस्टिंग नहीं की
नगर के लोगों ने बताया कि नियमानुसार पाइप लाइन बिछाने के साथ ही टेस्टिंग भी होना चाहिए था। लेकिन जिम्मेदारों ने इसे उस समय गंभीरता से नहीं लिया। जिसका खामियाजा फिर से भुगतना पड़ सकता है। समय रहते टेस्टिंग होने पर इससे लीकेज व अन्य तकनीकी समस्याओं के सामने आने पर तत्काल सुधार किया जा सकता था। ठेकेदार ने पंधाना नगर परिषद के 90 प्रतिशत हिस्से में खुदाई कर पाइपलाइन बिछा दी गई है, लेकिन टेस्टिंग कही भी नहीं की है। इसे मिट्टी डालकर पैक भी कर दिया गया। कही जगहों पर नगर परिषद ने ऊपर से सड़क निर्माण भी कर दिया है। भविष्य में और पंधाना नगर में आगामी दिनों अनेक सड़कों का निर्माण होना ही है।
लोग बोले : पाइपलाइन के बीच से निकाल दी नाली
नगर में फैली पाइपलाइन का लेवल एक जैसा नहीं है। कई जमीन के अंदर 1 फीट गहरीकरण तो कही 2 फीट पाइप डाल दिए गए है। पाइप के नीचे बेस भी नहीं डाला गया। साथ ही किसी तरह की मजबूती नहीं की गई, जिससे की जमीन के अंदर डाली गई पाइप लाइन की सुरक्षा हो सके और वह टूट-फूट से बचाई जा सके। गड्ढों का लेवल और पाइप का ज्वाइंट भी सही नहीं रखा गया। कई स्थानों पर तो पाइप लाइन नाली के बीच में से निकाल दी गई है। इससे बारिश में नालियों का पानी की निकासी नहीं हो रही है। सड़कें बनने के बाद टेस्टिंग के लिए पाइपलाइनों में आए फाल्ट को दुरुस्त करने की लिए फिर से दोबारा बनी हुई सडकों को खोदना पड़ेगा।
खींचतान... योजना में इंटेकवेल की परमिशन नहीं हुई है
मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के तहत करीब 6 साल पहले नगर परिषद द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति 9 करोड़ 46 लाख की तैयार की गई थी। इस पर तकनीकी स्वीकृति, निविदा लागत 12 करोड़ 25 लाख रुपए की निविदा जारी की गई। इस योजना का कार्य आदेश 6 अगस्त 2014 को एक साल में मूर्त रूप देने के साथ जारी किया गया। मगर विभागीय खामियों और जनप्रतिनिधियों की खींचतान के चलते योजना काम शुरू के दो वर्षो में रुक गया था। सभी अड़चनें खत्म होने के साथ ही काम सन 2016 में शुरू हुआ। नगर तक पानी लाने के काम में नेशनल इंजीनियरिंग कंपनी नागपुर को अभी और कितने महीने या साल लगने वाले है। जो कार्य सबसे पहले होना चाहिए। इंटेकवेल जहां से पानी नगर में आएगा, लेकिन उसका अभी तक कोई कार्य शुरू नहीं हुआ है। जानकारी के अनुसार अभी तक मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना में भगवंत सागर (सुक्ता डेम) मे इंटेकवेल की परमिशन नही हुई है।
योजना में काम उल्टा हो गया है
^जलावर्धन योजना में इंटेकवेल पहले बनना था। लेकिन सब काम उल्टा हुआ है। अभी इंटकवेल परमिशन बाकी है। पानी कम होने पर स्थान का चयन किया जाएगा। इसके बाद निर्माण कराया जाएगा।
मंसाराम बड़ोले, सीएमओ नगर परिषद पंधाना
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