कोयला से भरी मालगाड़ी की 12 बोगियों में तीसरे दिन भी लगी आग, 12 दमकलों ने बुझाई
करोंदा रेलवे स्टेशन पर खड़ी कोयला से भरी मालगाड़ी की बोगियों में 3 दिन में ट्रेन की 20 बोगियों में आग लग चुकी है। रविवार को ही करीब एक दर्जन में बोगियों में आग लगने के बाद ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। तीसरे दिन दाे बोगियों में अधिक और करीब 10 बोगियों में धुआं निकलने की सूचना पर कंट्रोल रूम सागर को आग लगने की सूचना दी गई थी।
करोंदा रेलवे स्टेशन पर खड़ी कोयला से भरी मालगाड़ी की बोगियों में लगातार तीसरे दिन करीब एक दर्जन बोगियों में आग लग गई। जिसकी सूचना कंट्रोल रूम सागर को दी गई। जहां से तीन फायर ब्रिगेड भेजने की सूचना दी गई। लेकिन कंट्रोल रूम से फायर ब्रिगेड मौके पर नहीं पहुंची। वहीं बीना से नगर पालिका, जेपी पाॅवर प्लांट, रिफाइनरी एवं ललितपुर से फायर ब्रिगेड को करोंदा रेलवे स्टेशन पर भेज कर आग को बुझाया गया।
बताया जा रहा है कि दाे बोगियों में ज्यादा आग लगी हुई थी, वहीं करीब 10 बोगियों से हल्का धुआं निकल रहा था। मौके पर सबसे पहले नगर पालिका बीना से फायर ब्रिगेड पहुंची। उसके बाद अन्य स्थानों से आई फायर ब्रिगेड ने करीब एक दर्जन से अधिक गाड़ी पानी बोगियों में डाला गया और आग को बुझाया गया।
शुक्रवार से लगातार लग रही आग
किरोंदा रेलवे स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी में लगातार तीन दिन से आग लग रही है। शुक्रवार को कोयला से भरी मालगाड़ी की पांच बोगियों में आग लग गई थी। जिसे रिफाइनरी एवं नगर पालिका की फायर ब्रिगेड ने मौके पर पहुंचकर आग को बुझाया गया था।
उसके बाद दूसरे दिन शनिवार को पूर्व में आग लगी बोगियों को छोड़ अन्य 3 बोगियों में आग लग गई थी। सूचना के बाद नगर पालिका से फायर ब्रिगेड भेज कर आग को बुझाया गया था। वहीं तीसरे दिन रविवार को करीब एक दर्जन बोगियों में आग लग जाने के बाद एमपी, यूपी की फायर ब्रिगेड भेज कर आग को बुझाया गया है।
नुकसान का अनुमान नहीं
एक बोगी में करीब 55 टन कोयला होता है। आग कोयला के अंदर आग लगी होती है, जिससे उसके नुकसान का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। वैसे ही जो सामग्री ओपन बोगियों में जाती है उसका नुकसान माल को भेजने वाली कंपनी का ही होता है। ऐसे माल के नुकसान में रेलवे की कोई जवाबदारी नहीं होती है। जिस माल को कवर्ड बोगी में रख कर रेलवे के द्वारा सील लगाकर भेजा जाता है। उसी माल की ही जवाबदारी रेलवे की होती है।
मीथेन गैस के कारण लग रही आग
स्थानीय रेलवे स्टेशन डिप्टी एसएस संजय जैन ने बताया कि कोयला के अंदर मीथेन गैस बनती है। ठंड के कारण कोयला टूटता है और चलती ट्रेन में घर्षण पैदा होने से चिंगारी निकलती है। वहीं चिंगारी कोयला के अंदर मीथेन गैस होने के कारण कोयला में आग पकड़ जाती है। हमेशा कोयला की बोगियों के अंदर ही आग लगती है, यह परेशानी अधिकतर ठंड में ही आती है। उन्होंने बताया कि कोयला की खदानों मेें भी ठंड के समय ही आग लगने की शिकायत मिलती है।
पंजाब में हड़ताल, नहीं पहुंच पा रही ट्रेनें
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि पंजाब में कई दिनों से किसान आंदोलन के कारण हड़ताल चल रही है। जिस कारण पंजाब एवं आसपास के क्षेत्रों में कोयला से भरी ट्रेनें बड़ी बड़ी फैक्ट्रियों में नहीं पहुंच पा रही है। कोयला से भरी कई ट्रेनें कई दिनों से रेलवे केे कई नगरों में घूम रही है और कई दिनों से कोयला को भर कर स्टेशनों पर खड़ी है। जिससे इस तरह के हादसे हो रहे है।
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