कल दीपावली और 15 को स्नान-दान की होगी अमावस्या

पाँच दिवसीय दीपोत्सव पर्व पर गुरुवार को मंदिरों एवं घरों में भगवान धनवंतरि का पूजन-अर्चन किया गया। शाम को मंदिरों एवं घरों पर दीपक जलाकर पर्व की खुशियाँ मनाई गईं। इसके साथ ही लोगों ने धनतेरस पर्व की खरीददारी भी की। पं. रोहित दुबे ने बताया कि धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी रूप चौदस मनाई जाती है।
इस दिन सुबह अभ्यंग स्नान (औषधियों से) करने के बाद शाम को मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है और घर के बाहर दीपक जलाकर छोटी दीपावली मनाई जाती है। इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। सुबह स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है। ऐसी भी मान्यता है कि राम भक्त हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से इसी दिन जन्म लिया था। चतुर्दशी तिथि 13 नवंबर को शाम 3 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होगी जो कि 14 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। अभ्यंग स्नान का मुहूर्त 14 नवंबर को सुबह 5 बजकर 32 मिनट से सुबह 6 बजकर 53 मिनट तक है। शुक्रवार 13 नवंबर को रूप चौदस पर्व मनाया जाएगा। 14 नवंबर को चतुर्दशी के साथ शाम को अमावस्या तिथि आ गई है।
इस दिन दीपावली पूजन किया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 15 तारीख को सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि होने से इस दिन स्नान और दान करने का महत्व है। इस तिथि में पितरों के उद््देश्य से की गई पूजा और दान अक्षय फलदायक देने वाला होता है। अमावस्या पर भगवान शिव और पार्वती जी की विशेष पूजा करने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
15 को स्नान दान अमावस्या
पं. वासुदेव शास्त्री ने बताया कि कार्तिक महीने की अमावस्या पर किए गए तीर्थ स्नान और दान से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस पर्व पर घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का फल मिल सकता है। इस दिन दीपदान के साथ ही अन्न और वस्त्र दान भी करना चाहिए। कार्तिक महीने की अमावस्या पर किया गया हर तरह का दान अक्षय फल देने वाला होता है।
पृथ्वी पर आती हैं लक्ष्मी जी
पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार कार्तिक अमावस्या पर लक्ष्मी जी पृथ्वी पर आती हैं। इस दिन दीपदान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। अमावस्या को गीता पाठ और अन्न दान करना चाहिए। भगवान विष्णु को तुलसी भी चढ़ानी चाहिए। इससे हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। अन्नदान करने से सुख बढ़ता है।
कालीधाम में काली पूजा आज
श्री सिद्ध शक्ति पीठ कालीधाम ग्वारीघाट के संस्थापक एवं संचालक दंडीस्वामी कालिकानंद सरस्वती महाराज द्वारा काली चौदस पर शुक्रवार को माँ भगवती काली का षोडशोपचार विधि से रात्रि में पूजन किया जाएगा। इस अवसर पर महाराज जी ने शिष्यों एवं श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि मंदिर परिसर का मुख्य द्वार संध्या 6 बजे से बंद रहेगा। श्रद्धालु माँ भगवती कालीपूजा के ऑनलाइन दर्शन का लाभ लें।
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