शहर के 15 वार्डों में 5 हजार से अधिक मकान, नप ने अब तक आवंटित नहीं किए नंबर
शहर के सभी 15 वार्डाें में बने करीब 5 हजार घराें पर नंबर नहीं लिखे गए हैं। इसके अलावा वार्डाें और काॅलाेनियाें के नाम भी उचित जगहाें पर नहीं लिखे गए, जिससे लाेगाें काे जानकारी नहीं मिल रही है। खासकर बाहरी लाेगाें काे अपने रिश्तेदार के घर पहुंचने या शहर आने वाले व्यापारियाें काे दुकानाें का पता करने में परेशानी हाे रही है।
हालांकि माेबाइल युग में यह काम कठिन नहीं है। इसके बाद भी लाेगाें काे वार्डाें, काॅलाेनियाें या मकान का पता ढूंढने में परेशानी हाे रही है। नगर परिषद ने आज तक मकानाें पर नंबर नहीं दर्ज कराए हैं। न ही मार्गाें या चाैराहाें पर वार्डाें या काॅलाेनियाें के नाम लिखे हैं। नगर परिषद में 15 अलग-अलग वार्ड हैं। कौन सा वार्ड किस नाम से जाना और पहचाना जाता है यह सिर्फ नप के पास कागजों में ही माैजूद है। 25 हजार से अधिक की जनसंख्या वाली नगर परिषद में किसी भी वार्ड का नाम नहीं लिखा है। वर्ष 1957 में नप का गठन हुआ था। तब से वर्तमान तक नप प्रशासक सहित 27 सीएमओ आ चुके हैं। आज तक नप ने मकान नंबर या वार्ड तथा माेहल्लाें के नाम सार्वजनिक स्थानाें पर नहीं लिखे हैं।
नप शहर में विकास कार्याें पर लाखाें रुपए की राशि खर्च करती है। इसके बाद भी लाेगाें की जानकारी के लिए मकानाें के नाम या वार्डाें सहित काॅलाेनियाें की जानकारी लिखने के लिए आज तक राशि खर्च नहीं की गई है। वर्तमान में नप उद्यानाें का रंग-राेगन, डिवाइडर मार्ग का सौंदर्यीकरण सहित शहर में कई जगह वाल पेंटिंग बनाकर लाेगाें काे सफाई का संदेश दे रही है।
शहर के वार्डाें में काॅलाेनियाें व माेहल्ला अनुसार जल्द घराें काे नंबर आवंटित करेंगे। लाेगाें की जानकारी के लिए सार्वजनिक स्थानाें पर जानकारी लिखी जाएगी, जिससे घर या दुकान ढूंढने में परेशानी से बचा जा सके।-राहुल शर्मा, सीएमओ, नप टिमरनी
नप ने आवंटित नहीं किए नंबर
शहर के सभी 15 वार्डों में करीब 5 हजार से अधिक मकान बने हुए हैं। इनमें से अधिकांश मकानों पर नंबर भी नहीं हैं। किस काॅलोनी में किस नंबर का मकान है, यह पता करना किसी चुनाैती से कम नहीं है। लंबे समय से नप ने अब तक मकानाें काे नंबर आवंटित करने की कार्रवाई नहीं की है। मकान नंबर डालना चाहिए क्याेंकि लाेगाें काे जानकारी नहीं हाेने से परेशानी हाे रही है।
नामाें से पहचाने जाते हैं वार्ड
शहर के ही कई लाेगाें काे वार्डाें की सीमा और काॅलाेनियाें की जानकारी नहीं है। काैन सा वार्ड शहर के किस क्षेत्र में और उसकी सीमा कहां तक है यह भी जानकारी नहीं है। सार्वजनिक स्थानाें पर वार्डाें या माेहल्लाें के नाम लिखे नहीं हाेने से उन्हें सिर्फ उनके प्रचलित नामाें से ही जाना जा सकता है। उदाहरण के लिए वार्ड 1 काे थिरकाया बाबा, वार्ड 2 काे इंदिरा वार्ड, वार्ड 3 काे स्टेशन वार्ड, वार्ड काे 4 दुर्गा चौक, वार्ड 5 काे पं. नेहरू वार्ड, वार्ड 6 काे हनुमानपुरा वार्ड, वार्ड 7 काे ठाकुर बाबा वार्ड, वार्ड 8 काे गांधी चौक, वार्ड 9 काे रामपुरा वार्ड, वार्ड 10 भैरो बाबा वार्ड, वार्ड 11 गढ़ी वार्ड, वार्ड 12 शक्तिमाता वार्ड, वार्ड 13 शीतलामाता वार्ड, वार्ड 14 हरदौल बाबा वार्ड तथा वार्ड 15 काे आंबेडकर वार्ड के नाम से जाना जाता है। वार्डों में रहने वाले अधिकतर नागरिकों के पास इसकी जानकारी नहीं है। जब कभी कोई बाहरी किसी अपने रिश्तेदार के घर जाता है ताे उसे पता पूछना पड़ता है।
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