कोराेना काल में ऑक्सीजन की कमी के चलते प्लांट बनाने मिली थी स्वीकृति

कोरोना संक्रमण काल हर किसी के लिए बुरा समय रहा है। वहीं यह स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अच्छा भी लेकर आया है। इस दौरान आईसीयू, आइसोलेशन, लैब के साथ ही जिला अस्पताल में आक्सीजन प्लांट भी तैयार किया जाना था, लेकिन आदेश को आए चार माह से अधिक समय हो गया। अस्पताल में प्लांट लगाना तो दूर जगह का चयन भी नहीं किया है।
केंद्र व राज्य सरकार की पहल पर जिला अस्पताल में आक्सीजन प्लांट लगना था। इस प्लांट के तहत पहले चरण में ट्रांसफार्मर व शेड निर्माण किया जाना था, लेकिन अभी तक इसके लिए जगह का चयन भी नहीं किया है। इसके चलते जिले में बनने वाले आक्सीजन प्लांट के निर्माण की शुरूआत ही नहीं हो सकी। जबकि पहले चरण में राजगढ़ जिले में भी यह प्लांट लगाने की शुरूआत होनी थी, क्योंकि यहां आक्सीजन पहुंचाने में सरकार को अतिरिक्त परिवहन खर्च उठाना पड़ रहा है।
क्यों जरूरी,स तीन गुना बढ़ी खपत, जिला अस्पताल में बनना था ऑक्सीजन प्लांट
ऑक्सीजन पर रोजाना करीब 20 हजार का खर्च
अकेले जिला अस्पताल में आक्सीजन पर रोजाना करीब 20 हजार रुपए का खर्च किया जा रहा है। इसके बाद भी कई बार सिलेंडर खत्म होने की शिकायतें आती है। जानकारी के अनुसार छोटा सिलेंडर 145 और जंबो 595 रुपए का पड़ता है। यानि रोजाना औसत 2 हजार के छोटे और 18 हजार के जंबो सिलेंडर मंगाने पड़ते हैं। अगर आक्सीजन प्लांट होता तो हम आक्सीजन बनाने में आत्मनिर्भर होते।
अभी तक 62 लोगों की हो चुकी है मौत
महामारी नियंत्रक अधिकारी डॉ महेंद्रसिंह ने बताया कि जिले में कोरोना के चलते अभी तक 62 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 49 हजार 937 लोगों के सैंपल लिए है।
जानिए: डीएच में पहले कितनी लगती थी ऑक्सीजन
जिला अस्पताल में आक्सीजन के लिए दो तरह के सिलेंडर उपयोग होते है। रेफर मरीज व आईसीयू वार्ड में 40 सीएफटी सिलेंडर की जरूरत होती है। वहीं एसएनसीयू और कोविड आईसीयू में जंबो सिलेंडर की जरूरत लगती है।
कोरोना काल से पहले रोजाना 8-10 छोटे सिलेंडर और 7 से 10 जंबो सिलेंडर की जरूरत पड़ती, लेकिन कोरोना काल के दौरान इनकी खपत तीन गुना तक बढ़ गई है। अब छोटे सिलेंडर 10 से 15 और जंबो 25 से 32 सिलेंडर तक रोजाना लगते हैं। आपको बता दे कि छोटे सिलेंडर में हजार से 12 सौ लीटर आक्सीजन होती है, वहीं जंबो सिलेंडर में 7 हजार लीटर तक आक्सीजन रहती है।
29 बैड का आईसीयू, लेकिन बाहर से मंगानी पड़ रही ऑक्सीजन: जिला अस्पताल में एक करोड़ की लागत से 29 बैड का कोविड वार्ड बनाया है इस वार्ड में 10 पलंग का आईसीयू बनाया है। वहीं प्रत्येक पलंग पर भी आक्सीजन लाइन डाली है। ताकि यहां बनने वाले प्लांट से आक्सीजन सप्लाई की जा सके, लेकिन कोविड वार्ड बनने के साथ प्लांट लगाने किसी ने रुचि नहीं दिखाई। इसके चलते आज भी प्लांट के अभाव में आक्सीजन बाहर से मंगानी पड़ रही है।
कोरोना काल के चलते ज्यादा लगी जरूरत
इस समय भी जिले में रोजाना 2 लाख 10 हजार लीटर से अधिक ऑक्सीजन की खपत हुई। यह जिले में एक दिन में लगी ऑक्सीजन की सर्वाधिक खपत है। वहीं जिला अस्पताल में स्थापित होने वाले प्लांट इतनी ऑक्सीजन मात्र एक घंटे में तैयार कर देता, लेकिन इस प्लांट को शुरू करना तो दूर इसके लिए जगह का चयन भी नहीं किया गया।
टेंडर में रुचि नहीं दिखाई
प्लांट की टेंडर प्रक्रिया शासन स्तर से होना है, नवंबर में टेंडर प्रक्रिया हुई थी, लेकिन जिले के लिए यह टेंडर किसी ने नहीं लिया। इसलिए हमने फिलहाल जगह चिंहित नहीं की है। जैसे ही टेंडर होगा काम शुरू होगा उससे पहले तैयारियां कर ली जाएगी।
–डॉ. आरएस परिहार, सीएस।
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