अपने-अपने जिलों में प्रदर्शन करेंगे किसान, आठ के बाद भोपाल में जुटेंगे

कृषि कानून के विरोध में मप्र के किसान अपने-अपने जिलों में आंदोलन करेंगे। आठ दिसबर को भारत बंद के आव्हान के बाद अगर जरूरत पड़ी तो वे भोपाल का रुख करेंगे। इधर, कई संगठनों ने भारत बंद मे समर्थन न देने का ऐलान किया है।

सोमवार को नीलम पार्क में किसान धरने पर बैठे रहे। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल सिंह ने बताया कि प्रदेश के किसानों को कहा गया है कि वे अपने-अपने जिलों में ही भारत बंद के लिए काम करें। आवश्यकता पड़ने पर किसान आठ दिसंबर के बाद भोपाल में एकत्रित होने पर बड़ा आंदोलन करेंगे।

किसान रविवार से ही नीलम पार्क में डेरा जमाए हैं। यहीं वे भोजन भी बना रहे हैं। किसानों के मुताबिक उनके लिए बंद बहुत महत्वपूर्ण है। इसे सफल बनाना है इस वजह से आम लोगों से भी सहयोग की अपील कर रहे हैं क्योंकि यह बिल सभी को कहीं न कहीं प्रभावित करेगा। राजगढ़ के प्रेमनारायण दांगी ने बताया कि यह किसान विरोधी बिल है। हमारा धरना अनिश्चितकालीन है। एक अन्य किसान विजय सिंह मीणा के मुताबिक मप्र के किसान केंद्र सरकार की नीति का विरोध कर रहे किसानों के साथ हैं।

इधर किसानों के मंगलवार को भारत बंद का कांग्रेस ने समर्थन किया है। भाजपा ने इसे महज कांग्रेस का विरोध बताया है, जबकि किसानों को भाजपा के साथ होने का दावा किया है। कांग्रेस राजधानी समेत सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देगी। भोपाल में जिला कांग्रेस द्वारा रोशनपुरा चौराहे पर धरना होगा।

सरकार ने पूरे प्रदेश में एसएएफ की 24 कंपनियों व 4000 होमगार्ड की तैनाती की
इधर, सरकार ने किसानों के बंद से निपटने के लिए गृह विभाग ने मप्र में पैरामिलिट्री फोर्स के तहत एसएएफ की 24 कंपनियों के साथ चार हजार होमगार्ड की तैनाती कर दी है। इसी तरह 800 ट्रेंड कांस्टेबल भी फील्ड में रहेंगे। यह मौजूदा पुलिस बल के अतिरिक्त होगा। गृह विभाग को जानकारी मिली है कि इंदौर, नरसिंहपुर, अलीराजपुर और चंबल क्षेत्र में कांग्रेस व जयस संगठनों का प्रदर्शन हो सकता है। इस मामले में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा का कहना है कि शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए आवश्यक प्रबंध कर दिए गए हैं।

किसान संघ ने किया बंद का विरोध हम बंद का समर्थन नहीं करते
हम किसानों के बंद का समर्थन नहीं करते। जहां तक केंद्र द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों के रद्द करने की बात है तो यह उचित नहीं है, लेकिन जो बिल लाए गए हैं उनमें संशोधन के पक्ष में हैं। इनमें कृषि कानूनों को वापस न लेकर एमएसपी से नीचे खरीदी न हो, व्यापारियों से किसानों को फसल बेचने के एवज में मिलने वाली राशि की गारंटी हो।
महेश चौधरी, भारतीय किसान संघ संगठन मंत्री, मप्र-छग

हम शुरू से किसानों को फसल के उचित दाम के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे थे। यहां तो मौजूदा लाए गए बिलों में एमएसपी तक देने की बात नहीं है। यह किसानों के साथ सरासर धोखा है।
शिवकुमार शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय किसान मजदूर



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नीलम पार्क में किसान यूनियन के सदस्यों का धरना प्रदर्शन


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