निमाड़ के अलग-अलग जगह से पकड़े गए तेंदुओं के ‘नए घर’ ओंकारेश्वर के जंगल में भी पहुंच गए तस्कर, खाल बरामद

(दीप चौरे) निमाड़ के अलग-अलग इलाकों में पकड़े जाने वाले तेंदुए जिस ओंकारेश्वर के जंगल में छोड़े जा रहे हैं वो जंगल भी अब इनके लिए सुरक्षित नहीं रह गया है। गुरुवार को बड़वाह में दो आरोपियों के पास से बरामद तेंदुए की खाल से स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स भोपाल और इंदौर की टीम को संदेह है कि ओंकारेश्वर के जंगल में तेंदुओं का शिकार हो रहा है।

आरोपियों से इस बारे में पूछताछ की जा रही है। पकड़े गए आरोपियों में एक बड़वाह का स्थानीय निवासी है और दूसरा सीहोर जिले में रहने वाला उसका फुफेरा भाई।

सरदार सरोवर और इंदिरा सागर परियोजना के बैकवाटर के कारण पहले से ही निमाड़ के जंगलों से तेंदुए भागकर रहवासी क्षेत्रों में पहुंच रहे थे। जहां उनके और इंसानों दोनों के जीवन को खतरा था लेकिन अब रेस्क्यू करने के बाद जिस जंगल में उन्हें छोड़ा जा रहा है वहां भी खतरा मंडरा रहा है। वन विभाग के अफसरों का कहना है तेंदुए की जाे खाल बरामद की गई है वो करीब छह माह पुरानी है। यानी जिस तेंदुए की खाल बरामद की गई है उसे लॉकडाउन पीरियड में मारा गया।

वन विभाग के अनुसार सेंधवा व नेपानगर के आसपास एक साल में चार से पांच तेंदुओं का रेस्क्यू किया गया है। इसके अलावा हर क्षेत्र में तेंदुए दिखाई दे रहे हैं लेकिन वह पकड़ में नहीं आ रहे हैं। इन सभी को पकड़ने के बाद खंडवा जिले के ओंकारेश्वर के पास घने जंगलों में छोड़ा जा रहा है। जिससे वह आसानी से अपना जीवन यापन कर सकें। अफसरों की माने तो कुछ सालों में निमाड़ में तेंदुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। हालांकि ये अनुमान ही है क्योंकि सही संख्या के लिए नए सर्वे की जरूरत है।

जानिए... एक साल में 43 बार दिखे तेंदुए, 6 को ही रेस्क्यू किया जा सका

बड़वानी : जिले के सेंधवा में एक साल में 5 तेंदुए पकड़ाए हैं। जिसमें तीन पानसेमल के पास व दो बिजासन घाट के पास से पकड़ाए है। जिन्हें ओंकारेश्वर के पास जंगल में छोड़ा गया है। करीब 10 से अधिक बार ग्रामीणों को तेंदुए दिखाई दिए हैं। बैकवाटर के कारण ज्यादा तेंदुए बाहर आ रहे हैं।

बुरहानपुर : जिले के नेपानगर के पास रतागढ़ में एक साल में 1 बार तेंदुआ पकड़ा गया है। जिसे ओंकारेश्वर के पास जंगल में छोड़ा गया है। 20 से अधिक बार तेंदुए दिखाई दिए हैं। नेपानगर में गन्ने के खेत में चार दिन पहले 3 शावक मिले। ग्रामीण बाघ दिखने के दावे भी करते हैं।

खरगोन : जिले के कसरावद व बड़वाह ब्लॉक में 12 बार तेंदुए दिखाई दिए हैं लेकिन इन्हें एक बार भी पकड़ा नहीं गया है। बैकवाटर अधिक होने के कारण तेंदुए के अलावा अन्य वन्य प्राणी भी दिखाई दिए हैं। एक साल पहले जो तेंदुए पकड़े गए उन्हें ओंकारेश्वर के जंगल में ही छोड़ा।

खंडवा : जिले के घने जंगलों में ही रेस्क्यू करके तेंदुओं को छोड़ा जाता है। इससे यहां पर इनकी संख्या अधिक है। पिछले दिनों नर्मदा के बैकवाटर में एक तेंदुआ तैरते दिखाई दिया था। तेंदुओं की सुरक्षा के लिए यहां खास इंतजाम नहीं है। वन विभाग निगरानी बढ़ाने की बात कह रहा है।

मजबूरी: सुरक्षा के साधन नहीं, दिखने पर करते हैं जागरुक
वन विभाग के क्षेत्र में इन दिनों तेंदुए अधिक दिखाई दे रहे हैं। वन विभाग के पास तेंदुओं की सुरक्षा के लिए कोई संसाधन नहीं है। जिससे वह उनकी सुरक्षा कर सकें। वह उन्हें घने जंगल में छोड़ देते हैं।

वृद्धि : गन्ने के खेतों के आसपास करते हैं प्रजनन
वन विभाग के एसडीओ विजय गुप्ता के अनुसार तेंदुए प्रजनन के लिए घने जंगल को छोड़ कर गन्ने के खेतों में पहुंचते हैं। वहां प्रजनन की प्रक्रिया पूरी करते हैं। इससे गन्ने के खेतों के आसपास तेंदुए अधिक दिखाई देते हैं।

कानून : गैर जमानती अपराध, 7 साल की सजा
वन विभाग संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसार तेंदुए की खाल निकालने व हत्या करने पर गैर जमानती धारा लगाई जा सकती है। 3 से 7 साल की सजा व10 से 1 लाख रुपए तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

अंधविश्वास : तांत्रिक क्रिया के लिए बढ़ रही है डिमांड
वन विभाग के अनुसार तेंदुए की खाल का उपयोग अंधविश्वास के लिए किया जाता है। इस पर बैठकर तांत्रिक क्रिया करते हैं ताकि धन की प्राप्ति की जा सके। जो गैर कानूनी है। ढोंगी बाबाओं के कहने पर इनके अंगों से विभिन्न बीमारी को दूर करने के लिए दवाई बनाई जाती है।

सतर्कता बढ़ा रहे हैं ओंकारेश्वर में
^बड़वाह में तेंदुए की खाल पकड़े जाने के बाद ओंकारेश्वर के जंगल में सतर्कता बढ़ा रहे हैं।
एमआर बघेल, डीएफओ, खंडवा



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
लाल डॉट से वो इलाके दर्शाए गए हैं जहां से रेस्क्यू किया, ब्लू डॉट से ओंकारेश्वर का जंगल दर्शाया है। जहां निमाड़ में सबसे ज्यादा तेंदुए हैं। इसलिए यहां तस्करों की नजर है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3oNwLQX

Share this

0 Comment to "निमाड़ के अलग-अलग जगह से पकड़े गए तेंदुओं के ‘नए घर’ ओंकारेश्वर के जंगल में भी पहुंच गए तस्कर, खाल बरामद"

Post a Comment