बच्चों की सुरक्षा की तसल्ली के बाद स्कूल भेजने के लिए राजी हुए पालक

कोरोना का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है। बच्चों के लिए जितनी शिक्षा जरूरी है, उससे कहीं ज्यादा स्वास्थ्य, इसीलिए बच्चों को स्कूल पहुंचाने से पहले शिक्षकों से कोरोना संक्रमण से बचाव से जुड़ी सभी जानकारियां ली हैं। शिक्षकों ने जो बताया उसके अनुसार स्कूल में व्यवस्था है या नहीं यह अपनी आंखों से देखा। सभी व्यवस्थाओं पर तसल्ली होने के बाद ही बिटिया को स्कूल भेजने के लिए सहमति दी। यह बयानगी है नारायण सिंह अहिरवार की, जिनकी बेटी शासकीय कन्या मंडी शाला गंजबासौदा में पढ़ती है। शुक्रवार को नारायण सिंह सहित अनेक अभिभावक हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल खुलने के आदेश के तहत पेरेंट्स मीटिंग में स्कूल पहुंचे थे। इस पेरेंट्स मीटिंग के दौरान स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों को कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर की गई व्यवस्थाओं का मौका मुआयना कराया। अभिभावकों ने कक्षाओं से लेकर शौचालय तक का बारीकी जांचा और परखा। पेरेंट्स मीटिंग में स्कूल का निरीक्षण करने के बाद ही बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए।
जिले में करीब 120 हाई स्कूल और 88 हायर सेंकडरी स्कूल हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जिले के हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में 762 प्राइमरी-मिडिल स्कूलों को मर्ज किया जा चुका है। 10वीं-12वीं की कक्षाओं के संचालन में कक्षों की कमी नहीं आएगी।

भास्कर पड़ताल

बच्चों ने नियमित क्लास लगाने का किया आग्रह
शासकीय उत्कृष्ट स्कूल में 10वीं 12वीं के बच्चों के 302 पालक मीटिंग में शामिल हुए। खास बात यह है कि इस स्कूल में कक्षा 12वीं में अध्ययनरत 87 बच्चों ने वाट्स एप ग्रुप के माध्यम से सामूहिक रूप से एक पत्र लिखकर संस्था प्राचार्य से रेगुलर क्लास लगाने का आग्रह किया। पत्र में बच्चों ने कहा है कि कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद होने से उनकी पढ़ाई पर गहरा प्रभाव पड़ा है। ऐसे में अब जल्द से जल्द कक्षाएं लगाई जाएं। ताकि बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी में उन्हें मदद मिल सके। संस्था प्राचार्य चारू सक्सेना ने बताया कि स्कूल में कक्षा 10वीं में 247 और कक्षा 12वीं में 257 बच्चें दर्ज हैं। उन्होंने बताया कि मीटिंग में आए 302 अभिभावकों में से 90 प्रतिशत ने बच्चों को भेजने की सहमति दी है।

सप्ताह में दो दिन 9वीं और 11वीं की कक्षाएं लगेंगी
ज्यदातर स्कूलों में बोर्ड की 10वीं और 12वीं की कक्षाओं पर अधिक फोकस किया जा रहा है। ताकि बच्चों की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियां कम समय में ज्यादा से ज्यादा कवर की जा सके। इसके लिए इन कक्षाओं को विषयवार नियमित रूप से लगाने का व्यवस्थित चार्ट स्कूल प्रबंधन द्वारा तैयार किया गया है। कई स्कूल प्राचार्यों ने सप्ताह में दो दिन कक्षा 9वीं और 11वीं की क्लास लगाने की व्यवस्था की है। इसके अलावा कक्षा 9वीं और 11वीं के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन क्लास लगाने की व्यवस्था भी पूर्व की तरह ही जारी रहेगी। हालांकि कई स्कूलों में सीमित संख्या में शिक्षकों के स्टॉफ सहित कक्षों और अन्य संसाधनों की उपलब्धता को ध्यान में रखकर कक्षा 9वीं और 11वीं की कक्षाएं लगाने को लेकर संशय है।

मुआयना कराकर बताईं स्कूल की व्यवस्थाएं
हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल खोलने के आदेश के तहत पहले दिन बच्चों की कक्षाएं लगाने के बजाए पेरेंट्स मीटिंग में अभिभावकों को बुलाया गया। पेरेंट्स मीटिंग के दौरान अभिभावकों से बच्चों को स्कूल भेजने के लिए सहमति पत्र लिए। मीटिंग में पालकों को स्कूलों में बच्चों की कोरोना संक्रमण से सुरक्षा को लेकर किए गए इंतजामों के बारे में बताया। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ विद्यार्थियों को बिठाने, कक्षों में हैंड सैनेटाइजर रखने, परिसर को सैनेटाइज कराने, मास्क की अनिवार्यता आदि से जुड़ी जानकारियां दी गईं। साथ ही अभिभावकों को भी बच्चों की सुरक्षा से जुड़े घरेलू उपाय करने के लिए समझाइश दी गई। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो 80 से 90%अभिभावकों ने पढ़ाई प्रभावित ना हो इसके लिए बच्चों को स्कूल भेजने पर सहमति दी है।
कई पालकों ने दी सहमति
^शासन के आदेश के तहत जिले में 10वीं और 12वीं के स्कूलों में कक्षाओं का संचालन किया जाएगा। शुक्रवार को पेरेंट्स मीटिंग में अभिभावकों को बुलाकर कोरोना संक्रमण से बचाव से जुड़ी व्यवस्थाओं की जानकारी दी है। ज्यादातर अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए सहमति दी है।
एके मुद्गिल, डीईओ विदिशा





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Parents agree to send children to school after the safety of children


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