पत्थरों से बनाई चर्च की इमारत, मजबूती के लिए लोहे की रॉड लगाकर बोल्ट से कस दिया, भूकंप से भी खतरा नहीं

पूर्वी रेलवे कॉलोनी में स्थित ब्रिटिश शासन काल में द्वारा बनाए गए सेंट जॉन्स चर्च भवन में करीब 116 साल बीत जाने के बाद भी एक भी दरार नहीं आई है। यह चर्च अपने आप में देखने योग्य है। चर्च में ब्रिटिश कालीन इंजीनियरों की कारीगरी देखते ही बनती है। चर्च निर्माण में पत्थर, लोहा एवं लकड़ी का उपयोग हुआ है। सीमेंट का उपयोग कतई नहीं किया गया है। इन सभी को आपस में जोड़ कर चर्च का निर्माण किया गया है। जिससे भूकंप के झटके भी बाल बांका न कर सकें।

जानकारी अनुसार 116 साल पहले ब्रिटिश शासन काल में पूर्वी रेलवे कॉलोनी में एक चर्च का निर्माण किया गया था। इसकी विशेषता यह है कि यह पत्थरों से बना हुआ है। साथ ही चारों तरफ से मोटी-मोटी लोहे की लाइनों को पिलर का आकार देकर मोल्ड कर उनमें करीब 2 इंच मोटी लोहे की राडों को डालकर बोल्टों से कसा गया है। साथ ही बीच-बीच में ऐग्जेसटर भी लगाए गए हैं। जिससे कभी राडें ढीली होने पर उन्हें कसा जा सके और चर्च को भूकंप के झटकों से बचाया जा सके।

नागपुर से संचालित होता था चर्च
सचिव सुजीत क्लाॅडियस ने बताया कि सेंट जॉस चर्च 116 वर्ष पुराना है। यह चर्च एनडीटीए नागपुर के द्वारा संचालित किया जाता था। जो करीब 1972 में डायोसिस ऑफ भोपाल, चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के अंडर में आया। जो प्रदेश के इंदौर से राइट रेव्ह. विशप मनोज चरण के द्वारा संचालित किया जाता है।

जिले का सबसे पुराना चर्च
सुजीत ने बताया कि इस तरह का चर्च जिले में नहीं है, साथ ही यह चर्च जिले में सबसे पुराना है। जिसे ब्रिटिश शासन काल में बनाया गया है। चर्च में पत्थर, लोहा एवं सागौन की लकड़ी का उपयोग किया गया है। जिसमें सीमेंट का कतई उपयोग नहीं किया गया है।

116 वर्ष पुरानी ईगल डाइस
इसके अलावा उन्होंने बताया कि चर्च में एक 116 वर्ष पुरानी ईगल डाइस है,जो ब्रास से निर्मित है। इस डाइस पर पवित्र शास्त्र बाइबल को रखकर पढ़ा जाता है। सुजीत ने बताया कि चर्च में पांच क्विंटल वजनी घंटा है। अधिक वजन होने से घंटे को एक रिंग से जोड़ कर चैन लगाई गई है। जिसके खींचने पर यह घंटा बजता है।



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बीना | चर्च में ब्रिटिश कालीन इंजीनियरों की कारीगरी देखते ही बनती है। पत्थर, लोहा व लकड़ी से बना चर्च।


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