एचआईवी की दवाएं बदलीं, अब मरीजाें काे चक्कर आना, घबराहट, सपने आने की समस्या नहीं होगी

एचआईवी-एड्स पाॅजिटिव मरीजाें काे एंट्री रेट्रोवायरल थैरेपी के तहत वायरल लाेड कम करने के लिए आवश्यक दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं के अधिकांश मरीजाें काे साइट इफैक्ट हाेते रहे हैं। शासन ने अब एआरटी की दवाओं में बदलाव किया है। करीब दाे महीने से नई दवाएं दी जा रही हैं, इसमें अभी तक किसी भी मरीज ने किसी भी तरह के साइड इफैक्ट की शिकायत नहीं की है।

सागर जिले में 1204 सहित संभाग में 1920 एचआईवी-एड्स मरीज मौजूद हैं। इनमें से 1734 की एआरटी चल रही है। इसमें उम्र और वायरल लाेड के अनुसार दवाओं का डाेज दिया जाता है। प्रचलित दवाओं में मरीजाें काे चक्कर आना, जीमचलाना, सपने आना, घबराहट जैसी समस्याएं सामने आ रही थीं। लंबे समय से शिकायताें के बाद अब राष्ट्रीय एड्स कंट्राेल साेसायटी की सिफारिश पर शासन ने दवाओं की गाइड लाइन में बदलाव कर नई दवाएं जाेड़ी हैं।

यह दवाएं जिला और संभाग स्तर पर एआरटी और सब एआरटी सेंटराें पर उपलब्ध करा दी गई हैं। जैसे-जैसे मरीज आते जा रहे हैं, उनकी दवाएं बदली जा रही हैं। सागर जिले में फिलहाल 40 मरीज एक महीने से एआरटी से प्रदान की गई नई दवाओं का सेवन कर रहे हैं।



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सांकेतिक फोटो


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