तीन तलाक के बाद पति ने हिंदू धर्म अपनाकर की थी शादी, अब पहली पत्नी बोली-नए कानून के तहत तलाक मान्य नहीं

एक मुस्लिम पति ने अपने पहली पत्नी को तलाक दे दिया। इसके बाद महिला के पति ने कानूनी रूप से हिंदू धर्म अपना लिया और तीन साल पहले वैदिक रीति रिवाज से हिंदू महिला से शादी भी कर ली। अब उस व्यक्ति की पहली पत्नी ने फैमिली कोर्ट में भरण पोषण के लिए अर्जी लगाई है। उसका कहना है कि नया कानून आ गया है। इसके मुताबिक वह अभी भी उसकी पहली पत्नी है, उसे पति के साथ ही रहना है। यह मामला कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश आरएन चंद की कोर्ट में विचाराधीन है।

महिला बोली- रिश्तेदारों ने बताया तो नए कानून का पता चला

मामला-महिला ने काउंसलर शैल अवस्थी को बताया कि उसकी शादी 2004 में हुई थी। दो बेटे हैं। पति रेलवे में नौकरी करते हैं। 2017 में उसे तीन तलाक दे दिया। उसे रिश्तेदारों ने बताया कि नया कानून बन गया है। जिसमें तीन तलाक एक साथ कहने पर वह नहीं मान्य नहीं होता।

नया पेंच-काउंसलर अवस्थी ने बताया कि पति का कहना है कि उसने आर्य समाज मंदिर से कानूनी रूप से हिंदू धर्म अपना लिया है। अब वह पहली पत्नी की हर जिम्मेदारी से मुक्त है। पहली पत्नी ने मामले को उलझा दिया है। उसने ऑफिस में भी दावा पेश किया है। इससे उसका वेतन रूक गया।

पति ने धर्म परिवर्तन के बाद ही मुझसे शादी की
इधर, हिंदू पत्नी ने काउंसलर को बताया कि उसके पति ने धर्म परिवर्तन के बाद उससे शादी की है। उसने नियमानुसार पहली पत्नी को तलाक दिया है। इस हिसाब से मैं उसकी वैधानिक पत्नी हूं। उसकी शादी आर्य समाज मंदिर में हुई है, इसलिए उसके पति की पहली पत्नी का कोई हक नहीं बनता कि उसके साथ रहे।

महिला सिर्फ भरण-पोषण ही ले सकती है...
^यदि मामले में महिला को उसके पति ने एक साथ तीन तलाक कह दिया है तो उसके हिसाब से वह उसकी पत्नी नहीं है। इसकी वजह नया कानून 20 सितंबर 2019 में लागू हुआ है। इस हिसाब से महिला उसकी पत्नी नहीं है। वह उसके साथ नहीं रह सकती। हां, महिला भरण-पोषण की हकदार है। पूर्व पति को भरण-पोषण देना होगा।
संदीप शर्मा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण



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प्रतीकात्मक फोटो।


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