तीन माह में दाे बड़े अग्निकांड, 9 की माैत कराेड़ाें की क्षति, घटनाओं की जांच तक नहीं
तीन माह में दाे बड़े अग्निकांड। पहले में दाे लाेग जिंदा जले ताे दूसरी घटना में तीन बच्चाें सहित सात लाेगाें की जान चली गई। लेकिन इतना सब होने के बाद भी हादसे के कारण और ऐसे अग्निकांड फिर न हों इस एहतियात के लिए न नगर निगम ने जांच की और न पुलिस और प्रशासन ने गंभीरता दिखाई।
ऐसे मामलों की न तो कोई विभाग पूरी तरह जांच करता है और न ही ऐसे मामलों की कोई रिपोर्ट बनती है, जिसे आधार बनाकर भविष्य में सुधार की कवायद की जाए। छोटे-छोटे से मामलों में जांच समितियां बनाकर लंबे समय तक जांच कराने वाले अफसरों ने पिछले दिनों दाे बड़ी घटनाओं में करोड़ों रुपए की संपत्ति जलकर राख हाेने और 9 लोगों की मौत के बाद भी न तो कोई जांच की और न ही किसी को दोषी पाया। इंदरगंज चौराहे के पास राेशनीघर राेड स्थित पेंट कारोबारी दुर्गादास एंड संस के परिवार में 18 मई को हुए हादसे ने प्रशासनिक व्यवस्था पर तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पहले 12 मार्च को मोचीओली में भी वृद्ध दंपति आग का शिकार हुए थे। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। यहां आज भी ज्वलनशील पदार्थों के गोदाम बने हुए हैं। खुलेआम सड़क पर रखकर केमिकल का कारोबार हो रहा है।
फायर एनओसी का मतलब भंडारण नहीं
नगरीय आवास एवं विकास विभाग के सुपरिडेंट इंजीनियर एलएस बघेल का कहना है कि किसी भवन, दुकान या संस्थान को फायर की अनापत्ति देने का मतलब ये नहीं है कि वह तलघर में केमिकल या अन्य ज्वलनशील पदार्थों का भंडारण करे। तलघर में किसी भी प्रकार का भंडारण पूरी तरह अवैध है। इस संबंध में प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे ऐसी दुकानों या गोदामों के खिलाफ कार्रवाई करें।
मोचीओली अग्निकांड: दो की गई जान
घटना: 12 मार्च को फोम के गोदाम में आग लगने के कारण ऊपर रहने वाले शिवहरे दंपति जिंदा जल गए थे।
क्या हुआ: फायर अमले ने पूरे बाजार की जांच कर 17-18 मार्च को 23 ऐसी दुकानें व गोदाम देखे, जिनमें तीव्र ज्वलनशील पदार्थ रखे थे। इन्हें शीघ्रता से गोदाम शिफ्ट करने के नोटिस दिए गए।
कार्रवाई: दो माह बाद भी हादसे में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। सहायक फायर ऑफिसर देवेंद्र जखेनियां का कहना है कि लॉकडाउन के कारण बाजार बंद था। 30 मई के बाद एक बार फिर से नोटिस जारी किया जाएगा। गोदाम खाली न होने पर इसकी जानकारी आयुक्त नगर निगम को सौंपी जाएगी।
राेशनीघर राेड अग्निकांड: सात की मौत
घटना: 18 मई काे पेंट्स की दुकान में अाग के बाद तीन मंजिला इमारत में फंसे एक ही परिवार के तीन बच्चाें सहित सात लाेगाें की माैत हाे गई। इस दौरान घर का सामान भी जल गया।
क्या हुआ: नगर निगम के फायर अमले ने निरीक्षण कर दुकान में रखे थिनर व अन्य केमिकल के स्टाॅक काे हटाने के निर्देश दिए।
कार्रवाई: काेई कार्रवाई नहीं हुई। न नगर निगम ने अपने स्तर पर हादसे के कारणों की जांच की और न ही पुलिस ने इस दिशा में पिछले तीन दिन में कोई टीम बनाई। प्रशासन ने भी मृतकों को 28 लाख की सहायता देकर इतिश्री कर ली।
तीन महकमे, लेकिन जांच के लिए एक-दूसरे पर कर रहे टालमटाेल
पुलिस व निगम का काम
- सीबी प्रसाद, एसडीएम, लश्कर के मुताबिक, अग्निकांड मामलों में पुलिस और नगर निगम ही जांच करते हैं। प्रशासन तो पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए पंचनामा भर बनाता है।
- सतेंद्र तोमर, एडिशनल एसपी के मुताबिक,आगजनी व आग में जलकर मौत के मामले में पुलिस साक्ष्य व बयानों के आधार पर जांच करती है और बयान व साक्ष्य में जो चीजें सामने आती हैं, उनके आधार पर कार्रवाई की जाती है।
- नरोत्तम भार्गव, अपर आयुक्त, नगर निगम के मुताबिक, अग्निकांड से संबंधित जानकारी यदि किसी विभाग द्वारा मांगी जाती है तो फायर ब्रिगेड उपलब्ध कराता है। मामले की जांच के लिए यदि प्रशासन कोई समिति बनाता है तो विभाग के विशेषज्ञ उसमें सदस्य बनते हैं।
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