किसान सभा और सीटू नेता बोले- मजदूरों के लिए राशन की व्यवस्था कराएं, अन्यथा आंदोलन करेंगे

जिले के औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर में अधिकांश इकाइयां बंद होने से मजदूरों के सामने रोजी- रोटी का संकट उपज गया है। शासन- प्रशासन द्वारा हजारों क्विंटल अनाज बांट दिए जाने का दावा किया जा रहा है लेकिन यह मजदूर वर्ग को हाथों में नहीं आया है। इस कारण मजदूर परिवारों को भूखे पेट सोने को मजबूर होना पड़ रहा है। मध्यप्रदेश किसान सभा एवं सीटू नेताओं ने चेतावनी दी है कि मजदूरों को शीघ्र राशन की व्यवस्था नहीं कराई गई तो सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए एसडीएम कार्यालय पर धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
मध्यप्रदेश किसान सभा के जिला सहायक सचिव वीरेंद्र सिंह कुशवाह के अलावा सीटू नेता चैकेलाल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के क्षेत्रीय सचिव हरगोविंद जाटव, महिला संगठन की अध्यक्ष विमला कुशवाह व सामाजिक कार्यकर्ता कमल कुशवाह ने कहा है कि मालनपुर में मजदूरों की हालत बहुत खस्ता होती जा रही है। ऐसी स्थिति में सरकार को मजदूरों को राशन मुहैया कराना चाहिए। मालनपुर की कुशवाह काॅलोनी व अन्य जगह भ्रमण करने के दौरान लोगों ने बताया है कि उनके पास कोई कामकाज न होने के कारण उन्हें को भूखे पेट ही सोना पड़ रहा है। लोगों द्वारा बताया गया है कि राज्य शासन द्वारा कई दावे किये जा रहे हैं कि सरकार कई क्विंटल अनाज गरीबों को बांट दिया है लेकिन यहां हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है। बिचौलियों के हाथ आया गरीबों के लिये अनाज भी उनके पेट में समा गया है। जब से लाॅकडाउन शुरु हुआ है से अब तक कुशवाह काॅलोनी में कोई भी सरकारी सहायता या कोई ऐसा दानदाता सामने नही आया है जो गरीबों की मदद कर सके।
मजदूरों की व्यथा, उन्हीं की जुबानी
कुशवाह काॅलोनी के जसरथ जाटव ने बताया कि परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटियां हैं। चारों लोगों के पास भोजन तक के लिए जुगाड़ नहीं हो पा रही है। इसी तरह विधवा आशा देवी, भारती देवी, गुड्डी कुशवाह, ममता देवी, तारा चंद, महोदवी, धर्मवीर कुशवाह, बैजंती बाई, विधवा पार्वती देवी, सहित क्षेत्र के कई मजदूर लाॅकडाउन के कारण भूखे रहने के मजबूर होना पड़ रहा है।
लॉकडाउन में दुकानदार भी हैं परेशान
क्षेत्र में बल्ली बाथम ओर रमेश बाथम जैसे अन्य कई ऐसे छोटे छोटे दुकानदार है जो रोज कमाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। लेकिन बीते दो माह से लगे लाकडाउन के कारण अपना अपने परिवार के लिये एक समय के भोजन की भी व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। सुग्रीव श्रीवास ने बताया कि बाल कटिंग की दुकान है लेकिन दो महीने से बंद है। 6 लोगों का परिवार है, गुजारा नहीं हो पा रहा है।
इधर बाहर से आ रहे मजदूर हो रहे बेहाल:
इन दिनों विभिन्न प्रांतों से मजदूरों को वापस लाया जा रहा है और कई पैदल ही अपने गांव की ओर चले आ रहे हैं। स्थानीय बस स्टेंड पर मजदूरों को लाए जाने के बाद भी इनकी परेशानी कम नहीं हो रही है। कड़ाके की धूप में इन्हें शामियाना में बैठकर स्क्रीनिंग, भोजन और गांव पहुंचने के लिए बसों का इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे सर्वाधिक खराब हालत बच्चों व महिलाओं की हो रही है। एक पखवाड़ा से विभिन्न स्थानों से मजदूर लाए जा रहे हैं। इनके लिए बस स्टेंड पर टेंट लगवाया गया है। जहां यह पहले स्क्रीनिंग के लिए अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं। रोडवेज बस स्टेंड भवन में स्क्रीनिंग के लिए तीन काउंटर बनाए गए हैं जबकि मजदूरों की संख्या सैकड़ों में होती है। इस कारण इन्हें घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है। इनके भोजन के लिए भी बस स्टैंड पर कोई व्यवस्था नहीं है भोजन कहीं से बनकर आता है तब इन्हें मिल पाता है। अगर बांटने वाले चले गए तो इन्हें लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद गांवों की ओर जाने के लिए बसों का इंतजार करना पड़ता है।
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