समय पर नहीं बिकने से सड़ गए फूल, तुड़वाई के लिए लगाए मजदूर

लाॅकडाउन की वजह से फूलाें की खेती करना घाटे का साैदा साबित हुआ। शादी-ब्याह सहित सभी मांगलिक कार्यक्रमाें पर प्रतिबंध लगने से फूल नहीं बिक सकें। इस कारण खेताें में लगी फूलवारी में ही फूल सड़ने लगे हैं। अब किसान फूलाें काे ताेड़कर फेंक रहे हैं। एक-दाे दिन में वे रोटावेटर चलाकर खेत साफ करेंगे।
कोरोना संक्रमण के चलते सार्वजनिक व मांगलिक कार्यक्रमाें पर प्रतिबंध लग गया है। जिससे फूलाें की खपत कम हाे गई। जिले में इस बार करीब 55 हेक्टेयर में फूलाें की खेती की गई। शहर में अजनाल नदी किनारे बैरागढ़ में 15 किसानाें ने 20 एकड़ में फूलाें की खेती की है। इसमें नवरंगा व गेंदा फूल शामिल है। बैरागढ़ के किसान धीरेंद्र सैनी ने बताया कि उन्हाेंने 5 एकड़ में नवरंगा की खेती की है। लाॅकडाउन में शादी सहित सभी समाराेह रद्द हाे गए। इस कारण फूल बिक नहीं पाए। इस सीजन में 5 एकड़ में करीब 5.50 लाख रुपए के फूल बिकने की उम्मीद थी। लेकिन बिक नहीं पाए। अब पाैधाें में लगे फूल सड़ने लगे है। जिन्हें ताेड़कर फेंक रहे हैं। उन्हाेंने बताया कि प्रति एकड़ 35 हजार रुपए की लागत आई। इसी तरह हबीब खान ने बताया कि उन्हाेंने बिरजाखेड़ी में 3 एकड़ में फूलाें की खेती की है। अब रोटावेटर से खेत साफ करना पड़ेगा।
किसान बोले- यह सीजन गया खाली, अब सावन और दीपावली में फूल बिकने की उम्मीद है
सैनी के मुताबिक अब तक उन्हें आस थी कि लाॅकडाउन खत्म हाेने के बाद फूल बिक सकेंगे। इसी वजह से पाैधे में सड़ रहे फूलाें काे ताेड़कर फेंक रहे थे। इसके लिए उन्हाेंने 200 रुपए राेज में मजदूरी खेत में लगाए थे, लेकिन लाॅकडाउन 4.0 लागू हाे गया। इसके बाद अब काेई सार्वजनिक कार्यक्रम की उम्मीद नहीं है। इससे उन्हें एक-दाे दिन में खेत में रोटावेटर चलाकर साफ करना पड़ेगा। इसके बाद फिर से खेती करेंगे। सावन और फिर दीपावली के त्याेहार में फूल बिकने की उम्मीद है।
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