सब्जियों के अच्छे दाम नहीं मिले, मवेशियों को खिला रहे

लॉकडाउन का ग्रामीणों पर असर दिखाई देने लगा है। खास तौर पर फल सब्जी की फसल लगाने वाले किसानों की फजीहत ही हो गई। लॉकडाउन के पहले लगाई लागत भी नहीं निकल पा रही। मशक्कत करते हुए किसान शहर के बाजार सहित अब आमजन के सीधे घरों तक पहुंच रहे हैं। बावजूद अच्छे दाम नहीं मिले तो अब किसानों ने अपनी उपज को मवेशियों को खिलाना शुरू कर दिया।
ग्राम भरड़ के गणेश राठौर ने बताया कि इस बार पानी की व्यवस्था अच्छी होने पर उन्होंने सब्जियों की फसल तैयार की थी। लेकिन लॉकडाउन के कारण वे शहर की मंडी तक उपज नहीं बेच सके। खेतों में लगी सब्जी को तोड़ा नहीं गया तो वे वहीं खराब हो जाएंगी। ऐसे में वे ग्रामीण क्षेत्र में ही औने-पौने दाम में सब्जी बेचने को मजबूर हैं। हालांकि इससे उनकी लागत निकलना तो दूर मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है। राठौर के अनुसार काफी नुकसान उठाना पड़ा। दरअसल शाजापुर में लगने वाली फसल सब्जी मंडी ठीक से नहीं खुल पा रही है। यहां कभी व्यापारी नहीं होते तो कभी हाथठेलों पर दुकान लगाने वाले लोग भी नहीं पहुंचते। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के किसानों ने मंडी में उपज लाना ही बंद कर दिया।
सब्जियां तोड़ने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे
इधर हिरपुर टेका के किसान देवीसिंह नाहर ने बताया कि पहले तो गांव में सब्जियों को तुड़वाने के लिए अब मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में परिवार के सदस्यों की मदद से सब्जियां तुड़वाकर बाजार लाए थे, लेकिन यहां भी खरीदार नहीं मिला। ऐसे में उन्हें अपने गांव तक का डबल भाड़ा लग गया। अब वे खेतों से सब्जियां निकाल कर अपने ही मवेशियों को डाल देते हैं। इधर ग्राम भरड़ के गणेश राठौर ने मंडी में अपनी उपज नहीं बिकने से परेशान होकर नई पहल शुरू कर दी। गांव के अन्य किसानों की मदद से शहर के परिचित लोगों से संपर्क कर होम डिलीवरी शुरू कर दी। इससे किसानों को थोड़ी राहत तो मिली, वहीं शहर के लोगों तक भी ताजी सब्जी पहुंच रही हैं।



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Did not get good prices for vegetables, feeding cattle


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