पत्नी को लेने आए थे, लॉकडाउन में फंसे, घर को क्वारेंटाइन किया तो तनाव में आ गए, दम तोड़ा

राहुल दुबे. जूनी इंदौर की भीमगिरी गली में एक परिवार के दो सदस्यों की मृत्यु एक दिन के अंतराल में हो गई। पत्नी को लेने के लिए पति इंदौर आए थे। तभी लॉकडाउन हो गया और वह यहीं फंस गए। इस बीच पत्नी की बड़ी बहन की तबीयत खराब हो गई। स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन ने घर को बैरिकेड लगाकर क्वारेंटाइन कर दिया। कोरोना संक्रमण की आशंका, घर को बाहर से सील देख दामाद तनाव में आ गए, जबकि वह पूरी तरह ठीक थे। वह गुमसुम रहने लगे। कमरे से बाहर भी नहीं निकलते। 7 मई को उनकी तबीयत बिगड़ी, शरीर पसीना-पसीना हो गया। अस्पताल ले जाने के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई। 8 मई को उनकी पत्नी की बहन संध्या की भी मृत्यु हो गई। हालांकि संध्या की संक्रमण के बाद मृत्यु होने की जानकारी विभाग ने जारी नहीं की है। लगभग 21 दिन पहले स्वास्थ्य विभाग का अमला भीमगिरी गली में एक महिला की मौत के बाद इस परिवार के घर के बाहर भी बैरिकेडिंग कर गया था। एक महिला के संक्रमित होने की आशंका में यह किया गया। दामाद अनिल पुरी गोस्वामी पत्नी को लेने आए थे।
लॉकडाउन के चलते वह वापस नहीं जा सके। ससुराल को पैक किए जाने, सदस्यों को क्वारेंटाइन किए जाने के बाद से ही वह तनाव में थे। पहले अनिल फिर संध्या की मृत्यु से परिवार गहरा धक्का लगा। परिवार के लोग आखिरी समय में दोनों को देख तक नहीं पाए। अस्पताल से सीधे मुक्तिधाम शवों को पहुंचा दिया गया। दोनों ही मामलों में कोरोना संक्रमित होने की कोई जानकारी स्वास्थ्य विभाग ने जारी नहीं की है।
हाइपर टेंशन, फ्लू का इलाज कराने गई, कोरोना संक्रमित हो गई
55 बरस की विमला वर्मा। हाइपर टेंशन, फ्लू, रेस्पिरेटरी सिंड्रोम जैसी बीमारियों का इलाज कराने ईएसआईसी अस्पताल पहुंची थी, लेकिन वहा जाकर कोरोना संक्रमित भी हो गई। 28 अप्रैल को भर्ती हुई थी। एक मई को उन्हें संक्रमित बता दिया गया। इतनी बीमारियों के बाद भी उन्होंने 10 दिन संघर्ष किया। बार-बार डॉक्टर्स से वह बोलती भी कि मैं जल्दी ही ठीक हो जाऊंगी ना। घर के बहुत काम बचे हैं। सब पूरे करना हैं। वहीं परिजन भी बेबस थे। अस्पताल के बाहर खड़े रहने, आते-जाते लोगों से तबियत पूछने के सिवाए कोई चारा नहीं था। कभी-कभी मोबाइल से भी बात हो जाती। तसल्ली देते कि सब ठीक हो जाएगा। लेकिन शुक्रवार शाम पांच बजे करीब विमला की सांसें थम गई। पति, बच्चे अन्य परिजन ने आखिरी बार उनको 28 अप्रैल को देखा था। निधन के बाद अंतिम दर्शन तक परिवार नहीं कर पाया। अस्पताल से सीधे मुक्तिधाम शव को पहुंचाया। मात्र आठ से 10 घंटे में दाह संस्कार भी हो गया। जब चिता जल रही थी तब परिवार के लोगों को घर में अलग-अलग रहने, घर को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया जा रहा था।
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