जबलपुर: खसरा नंबर 662 पर बनाए जा सकते हैं विस्थापितों के घर, सरकारी जमीन की तलाश में बीता एक साल

मदन महल पहाड़ी से इंसानी बसाहट खत्म करने के लिए प्रशासन द्वारा ठोस रणनीति तैयार नहीं की जा सकी है। विस्थापितों को बसाने के लिये चल रही सरकारी जमीन की तलाश में साल बीत रहा है। उल्लेखनीय है कि मदन महल की पहाड़ी पर अवैध रूप से बने करीब ढाई हजार अवैध मकान अभी तक तोड़े गए हैं, जिनमें से कुछ को तिलहरी में बसाया गया है और कुछ के लिए तेवर में भूमि की तलाश की गई है। फिर भी पहाड़ी के सभी हितग्राहियों के लिए प्लॉट नहीं बन पा रहे हैं। अपनी नाकामी छिपाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी हितग्राहियों को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे में मेडिकल अस्पताल के पीछे पुरवा खसरा नंबर 662 की जमीन उपयोगी साबित हो सकती है। यहाँ की जमीन ग्रीन बेल्ट, तालाब और शासकीय अतिशेष मद की है, जिसे भू-माफिया औने-पौने दामों पर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। जबकि यहाँ प्लॉट काटकर पहाड़ी के हितग्राहियों को आसानी से बसाया जा सकता है।

मदन महल की पहाड़ी पर फिर हरी होने लगीं उम्मीदें

‘पुरवा’ बेहतर विकल्प
पुरवा मेडिकल अस्पताल के पीछे खसरा नंबर 662 की जमीन का अधिकांश हिस्सा शासकीय और अतिशेष है, जिसे भू-माफिया औने-पौने दामों पर जमीन का सौदा करके बिक्री कर रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के लिए मदन महल पहाड़ी की बसाहट जो चुनौती बनी हुई है, यह जमीन विस्थापितों के लिये बड़ा सहारा बन सकती है। इस सरकारी जमीन को उपयोगी बनाकर विस्थापितों को शिफ्ट किया जा सकता है। प्रशासन को दूर-दराज जमीन तलाश करने के लिए माथापच्ची भी नहीं करनी पड़ेगी और जो लोग दोबारा पहाड़ी पर मकान बना रहे हैं, उन्हें पहाड़ी के नीचे समतल जमीन भी मिल जाएगी, जिस पर घर बनाने में कब्जाधारियों को किसी प्रकार की समस्या भी नहीं होगी।

तेवर जाने में आनाकानीकर रहे कब्जाधारी
जितने हितग्राहियों को तिलहरी में जमीन मिली हुई है और वहाँ पर जितने लोगों ने मकान बनाए हैं। उन्हें देखकर बचे हुए हितग्राही तेवर या कहीं और मकान बनाने में दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे हितग्राही शहरी बसाहट क्षेत्र में रहने का मन बनाए हुए हैं। उनके लिए मेडिकल के पीछे तालाब के आसपास की जमीन में बसाहट सबसे उपयुक्त साबित हो सकती है।

न्यायालयीन प्रक्रिया मेंअतिशेष भूमि
खसरा नंबर 662 की जमीन निजी भूमि थी। उसकी मद भी ग्रीन बेल्ट और तालाब है। इस जमीन का जो भी हिस्सा अतिशेष शासकीय होगा, उसमें न्यायालयीन प्रकरण चलते रहते हैं, जिनका अलॉटमेंट किया ही नहीं जा सकता है। मदन महल पहाड़ी पर जो भी मकान नए बनाए जा रहे हैं, उन्हें हटाने के लिए नगर निगम को कहा गया है और तेवर में प्लॉट उपलब्ध कराने के लिए भी लिखा गया है।
प्रदीप मिश्रा, तहसीलदार गोरखपुर



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Measles number 662 can be decorated with the intentions of the displaced


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