बच्चों की पढ़ाई नहीं रुके, इसलिए शिक्षक लगा रहे कक्षाएं

कोरोना के चलते जिले के सभी स्कूल बंद हो गए। जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन के चार चरण बीत गए। अब अनलॉक शुरू हो गया है। स्कूलों में न तो परीक्षाएं हुईं और न ही रिजल्ट आए। बच्चों को आगे की कक्षाओं में प्रमोशन दे दिया जा रहा है। लेकिन पढ़ाई का संकट का बरकरार रहा है। ऐसे में अब कुछ शिक्षकों ने बच्चों के भविष्य को देखते हुए अपने घर से ही स्कूल का संचालन शुरू कर दिया है। बच्चों को तीन घंटे तक की कक्षाएं दी जा रहीं हैं।

श्योपुर ब्लॉक के लुहार स्कूल में पदस्थ शिक्षिका वंदना गौतम ने बताती हैं कि राज्य शिक्षा केंद्र के डिजीलेप कार्यक्रम तो शुरू किए, लेकिन जब वे गांवों में बच्चों के माता-पिता से संपर्क किया तो अधिकतर बच्चों के माता-पिता के पास एंड्रायड फोन ही नहीं हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही। इसके चलते उन्होंने अपने घर पर ही स्कूल के संचालन का फैसला किया। वे दो शिफ्टों में अपने घर पर ही स्कूल संचालित कर रहीं हैं। शुरूआत में कुछ ही बच्चे थे। लेकिन अब धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ रही है। सुबह 11 बजे से 1 बजे तक कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को पढ़ा रहीं हैं। इसके बाद 1.30 से 3.30 तक कक्षा 1 और 2 के बच्चों को राज्य शिक्षा केंद्र की ऑनलाइन सामाग्री से पढ़ा रहीं हैं।
गोवर्धा में सप्ताह में तीन दिन खोल रहे स्कूल, सोशल डिस्टेंस का रखते हैं ध्यान
कराहल ब्लॉक के अधिकतर गांवों में एंड्रायड फोन तो छोड़िए मोबाइल का नेटवर्क भी ठीक से मिल जाए तो बहुत है। गोवर्धा गांव में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। यहां ऑनलाइन डिजीलेप से बच्चों की पढ़ाई कराना शिक्षकों के लिए मुश्किल था। यहां शिक्षक श्यामबाबू सेन बताते हैं कि जब उन्हें बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराना मुश्कि‍ल लगा तो उन्होंने सप्ताह में तीन दिन स्कूल जाने का निर्णय लिया। वे बताते हैं कि कुछ बच्चों के साथ शुरू किए गए स्कूल में अब 25 से 30 बच्चे पढ़ने आ रहे हैं। उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब भी समझा रहे हैं। उन्हें एक दिन पढ़ाई कराने के बाद होमवर्क दिया जाता है और तीसरे दिन टेस्ट लिया जाता है।



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Teachers are not taking classes because of children's education


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